रायपुर: कोरोना की दूसरी लहर में लगातार बढ़ते तेल की कीमतों ने आम लोगों को रुला दिया है। देश के कई शहरों में जहां पेट्रोल के दाम सेंचुरी मार चुके हैं तो छत्तीसगढ़ में भी कीमतें सेंचुरी की ओर बढ़ रही है। बढ़ती महंगाई के मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार के खिलाफ देशव्यापी धरना प्रदर्शन किया। मगर सियासत से इतर एक सच्चाई ये कि बढ़ती कीमतों के कारण आम लोगों को चौतरफा मार झेलनी पड़ रही है। एक तरफ कोरोना काल दूसरी तरफ बढ़ती महंगाई ने आम लोगों को चौतरफा परेशान कर रखा है। अब सवाल ये कि केंद्र सरकार आम आदमी के इस दबाव को कैसे और कब कम करेगी? क्या तेल कंपनियों की कमाई घटाकर लोगों को राहत दी जाएगी? क्या केंद्र के साथ राज्य सरकारें भी अपना वैट और सेस घटाकर राहत नहीं दे सकती है?
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आग लगने से आम लोगों का गुस्सा भड़क उठा है और इस आग को और हवा दी कांग्रेस के देशव्यापी प्रदर्शन ने। हर शहर में कांग्रेसी सड़क पर उतरे और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर हल्ला बोला।
इधर छत्तीसगढ़ में भी राजधानी रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग-भिलाई, अंबिकापुर, कोरबा, जगदलपुर, राजनांदगांव और रायगढ़ समेत सभी जिला मुख्यालयों में कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पेट्रोल पंप के सामने बैठकर केंद्र सरकार को जमकर कोसा। राजधानी रायपुर के शास्त्री चौक स्थित पेट्रोल पंप के सामने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम खुद धरने पर बैठे। उनके साथ सांसद छाया वर्मा, विधायक कुलदीप जुनेजा, महापौर एजाज ढेबर समेत कई बड़े कांग्रेस नेताओं ने प्रदर्शन किया। कांग्रेस के प्रदर्शन को फ्लॉप शो बताते हुए भाजपा ने कहा कि कांग्रेस शून्य पर आकर अटक गया है।
सरकारें तो आती-जाती रहती हैं। प्रदर्शन करने वाले राजनीतिक दलों के चेहरे भी बदलते रहते हैं। लेकिन पेट्रोल-डीजल की कीमतें ही ऐसी हैं, जो हमेशा और हर सरकार में बढ़ती हैं और आम आदमी की कमर तोड़ती हैं। सोचने वाली बात ये है कि क्या ऐसे प्रदर्शनों से सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतें घटाने के बारे में सोचेंगी।