प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बृहस्पतिवार को जम्मू-कश्मीर पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक ने श्रीनगर और दिल्ली के रिश्तो पर 23 महीनों से जमी बर्फ पिघला दी, लेकिन इन रिश्तों में गरमाहट आने में अभी कुछ समय लगेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने और जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव कराने के वादे से इस राज्य के नेताओं को किसी हद तक ढांढस बंधा। यही वजह है कि मीटिंग के बाद लगभग सभी नेताओं ने इस बैठक को एक सकारात्मक पहल करार दिया। बैठक के अंत में दिए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने एक-एक कर नेताओं के सभी संदेशों को दूर करने का प्रयास किया।
नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने परिसीमन के समय को लेकर सवाल उठाया तो प्रधानमंत्री का कहना था कि राज्य के विभाजन के बाद इसमें सात विधानसभा सीटें बढ़ गई हैं, इसलिए चुनाव कराने से पहले परिसीमन कराना जरूरी है।
पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाने का मामला उठाने पर प्रधानमंत्री ने अदालत के सामने लंबित होने की वजह से इस मामले पर कोई भी बात करने से परहेज किया। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद द्वारा कश्मीरी पंडितों की घर वापसी की मांग और नेशनल कॉन्फ्रेंस का संविधान के तहत शांतिपूर्ण आंदोलन का वादा केंद्र सरकार के लिए बड़ी राहत की बात है।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के 14 नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब साढ़े तीन घंटे तक महाबैठक की। इस दौरान बैठक की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जिनमें पीएम मोदी और कश्मीरी नेता मुस्कुराते नजर आए। बैठक खत्म होने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि ‘वह दिल्ली और दिल की दूरी खत्म करना चाहते हैं।’
पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया तेज गति से पूरी होनी है, ताकि वहां विधानसभा चुनाव कराए जा सकें और एक निर्वाचित सरकार का गठन हो सके, जो प्रदेश के विकास को मजबूती दे। जम्मू-कश्मीर के नेताओं के साथ सर्वदलीय बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने सिलसिलेवार ट्वीट कर यह भी कहा कि सरकार की प्राथमिकता केंद्रशासित प्रदेश में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है।
सर्वदलीय बैठक को जम्मू-कश्मीर को विकसित और प्रगतिशील प्रदेश के रूप में विकसित करने के जारी प्रयासों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताते हुए उन्होंने कहा, ‘हमारी प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है। परिसीमन तेज गति से होना है, ताकि जम्मू-कश्मीर में चुनाव हो सकें और वहां एक चुनी हुई सरकार मिले जिससे राज्य के चौतरफा विकास को मजबूती मिले।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैंने जम्मू-कश्मीर के नेताओं से कहा कि लोगों को, विशेषकर युवाओं को जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक नेतृत्व प्रदान करना है और उनकी आकांक्षाओं की पूर्ति सुनिश्चित करना है।’ इससे पहले सर्वदलीय बैठक में शामिल अधिकांश राजनीतिक दलों ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और जल्द से जल्द विधानसभा का चुनाव संपन्न कराने की मांग उठाई।