आज है गुरु पूर्णिमा का पर्व, यहाँ जानिए महत्व और पूजा विधि

हर साल गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 24 जुलाई यानी आज मनाया जा रहा है। गुरु पूर्णिमा हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा करते हैं। वैसे इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी पुकारा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसी दिन सनातन धर्म के पहले गुरु महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि महर्षि वेदव्यास ने ही वेदों का ज्ञान दिया था और इसी के चलते सनातन धर्म में महर्षि वेदव्यास को आदि गुरु का दर्जा प्राप्त है।

यहाँ जानिए गुरु पूर्णिमा का महत्व: कहा जाता है गुरु पूर्णिमा के दिन सभी गुरुओं के साथ-साथ भगवान विष्णु और भगवान बृहस्पति की भी पूजा की जाती है। जी दरअसल हिन्दू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 23 जुलाई को सुबह 10 बजकर 45 मिनट से हुई थी और यह 24 जुलाई को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त हो रही है। आप सभी को बता दें कि महर्षि वेदव्यास श्रीमद्भागवत, महाभारत, ब्रह्मसूत्र, मीमांसा के अलावा 18 पुराणों के रचियाता माने जाते हैं। इसी तिथि पर व्यासजी ने सबसे पहले अपने शिष्यों और मुनियों को शास्त्रों का ज्ञान भी दिया था।

गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि: जी दरअसल आज के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए। उसके बाद स्नान करके साफ वस्त्र धारण करना चाहिए। अब एक साफ-सुथरी जगह पर एक सफेद कपड़ा बिछाकर व्यास पीठ का निर्माण करें। इसके बाद गुरु व्यास की मूर्ति उस पर स्थापित करें और उन्हें रोली, चंदन, फूल, फल और प्रसाद अर्पित करें। अब ‘गुरुपरंपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये’ मंत्र का जाप करें और सूर्य मंत्र का जाप करें। उसके बाद अपने गुरु का ध्यान करें और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा भी जरूर करें। इस दिन आटे की पंजीरी बनाकर भोग लगाना चाहिए।

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