रायपुर. करीब सात साल पहले हरिभूमि द्वारा प्रमुखता से प्रकाशित एक खबर पर छत्तीसगढ़ के पंजीयक सहकारी संस्थाएं द्वारा कार्रवाई की जानकारी आरटीआई के एक आवेदक को दी गई है। मामला ये है कि रायपुर के जिला केंद्रीय सहकारी बैंक रायपुर समेत चार बैंकों में बेनामी और बोगस खाते खोलकर राशि का हस्तांतरण किया गया था। हरिभूमि ने वर्ष 2014 में इस बारे में खबर दी थी कि पांच सौ करोड़ रुपए का हवाला किया गया है। कार्यवाही के नाम पर 500 करोड़ के हवाला में वल बैंकों पर 3 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। अफसरों का इंक्रीमेंट रोका गया है। नाबार्ड ने की मामले की जांच इस मामले की जांच करके नाबार्ड ने 20 जनवरी 2015 को अपनी रिपोर्ट आरबीआई को भेजी तथा आरबीआई ने पंजीयक सहकारी संस्थाएं को 20 जनवरी को ही कार्यवाही का निर्देश दिया था। खास बात ये है कि यह जानकारी पंजीयक सहकारी संस्थाएं रायपुर ने आरटीआई के एक प्रश्न के जवाब में वीके दास को भेजी। श्री दास ने हरिभूमि में प्रकाशित समाचार के आधार पर पंजीयक से जानकारी मांगी थी।
किसी पर आपराधिक मामला नहीं पंजीयक द्वारा की गई कार्यवाही के ब्योरे में बताया गया है कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक द्वारा नार्म्स का पालन न करने के कारण 12 अधिकारियों-कर्मचारियों को 27 मार्च 2015 को निलंबित किया गया। इनकी विभागीय जांच भी की गई। इस जांच में आरोप प्रमाणित पाए जाने पर सभी अफसर कर्मियों की एक-एक वार्षिक वेतनवृद्धि रोकी गई। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक (अपेक्स बैंक) के प्रिंसिपल ऑफिसर एसके वर्मा को निलंबित कर उनके विरुद्ध विभागीय जांच प्रारंभ की गई। आरोप आंशिक प्रमाणित पाए गए। श्री वर्मा के खिलाफ एक वेतन वृद्धि संचयी प्रभाव से रोकी गई। लेकिन 500 करोड़ जमा कराने वालों के नाम छिपा लिए गए हैं। सीए को पैनल से हटाया गया: नाबार्ड ने इस मामले में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक रायपुर के सीए पैनल में शामिल लक्ष्मी तृप्ति एसोसिएट एवं मिनेश आनंद एसोसिएट को पैनल से हटा दिया है। ये है मामला रीजनल इकोनॉमिक्स इंटेलीजेंस कौंसिल की एक बैठक 28 अक्टूबर 2014 में आयकर विभाग तथा वाणिज्यिककर विभाग द्वारा एक रिपोर्ट साझा की गई थी कि बेनामी एवं बोगस एकाउंट के माध्यम से राशि का हस्तांतरण किया गया। इस काम में आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, करुर वैश्य बैंक एवं जिला सहकारी केंद्रीय बैंक रायपुर का नाम आया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि इन बैंकों के माध्यम से बोगस सेल, परचेस, बेनामी बोगस खाते खोलकर राशि का हस्तांतरण किया गया। इस मामले में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक रायपुर पर आरबीआई ने पांच लाख रुपए जुर्माना लगाया था। यह राशि बैंक ने जमा कर दी है।