रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार अपने ही सरकारी इस्कुलो में भेदभाव कर रही है. सरकारी स्कूलों के बीच असमानता पैदा कर रही है. बच्चों की पढ़ाई और व्यवस्थाओं पर भेदभाव कर रही है. अंग्रेजी मीडियम स्कूल में बेहतर शिक्षा व्यवस्था बच्चों को मिल रहा है, जबकि हिंदी मीडियम स्कूल में शिक्षा व्यवस्था बदहाल है. स्थिति यह है कि अंग्रेजी स्कूल के बच्चे टेबल में बैठकर खाना खाते हैं और हिंदी के बच्चे टाट पट्टी भी नसीब नहीं हो रही है. यह आरोप पेरेंट्स एसोसिएशन का है. पेरेंट्स एसोसिएशन ने प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला और शिक्षा सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह को पत्र लिखा है. जिसमें कहा गया है कि दोनों ही स्कूल सरकारी, फिर व्यवस्था में भेदभाव क्यों ?
प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि जो अधिकारी पहले कहते थे कि अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में क्यों पढ़ाते हो सरकारी स्कूल में पढ़ाओ. अब कहते हैं कि अपने बच्चों को सरकारी हिंदी मीडियम स्कूल में क्यों पढ़ाते हो, स्वामी आत्मानंद अंग्रेज़ी मीडियम स्कूल में पढ़ाओ. सरकार अपनी हिंदी मीडियम स्कूल की बलि चढ़ाकर अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल का संचालन करना चाह रही है, जो उचित नहीं है. शिक्षा देने में यह भेदभाव संविधान और क़ानून का उल्लंघन है.
एक सर्व सुविधायुक्त और दूसरा सुविधाविहीन
पालकों के साथ शिक्षाविदों ने सवाल उठाते हुए कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग दो सरकारी स्कूल का संचालन कर रही है. एक सर्व सुविधायुक्त और दूसरा सुविधाविहीन. एक स्कूल में सभी बड़े अधिकारी आए दिन निरीक्षण करने जाते हैं. फोटो खिंचवाते हैं और अखबारों में छपते हैं. वहीं दूसरे स्कूल में कोई अधिकारी झांकने तक नहीं जाते.
स्कूलों की व्यवस्था में भेदभाव
उन्होंने कहा कि एक स्कूल में धाराप्रवाह अंग्रेज़ी बोलने, लिखने और पढ़ने वाले प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति की गई है, तो दूसरे स्कूल में ना टीचर है, ना टेबल है, जो अंग्रेजी के शिक्षक थे, उन्हें भी प्रतिनिुक्ति में ले लिया गया है. उन्होंने कहा कि एक स्कूल में बच्चे टेबल में बैठकर खाना खाते हैं, तो दूसरे स्कूल में टाट पट्टी भी नसीब नहीं होती है. इसमें विभाग को संज्ञान लेने की जरूरत है.
दोनों सरकारी स्कूल में एक जैसी हो व्यवस्था
पेरेंट्स एसोसिएशन की मांग है कि दोनों ही सरकारी स्कूल है. इसीलिए जो स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी मीडियम सरकारी स्कूल के लिए व्यवस्था, सुविधा और संरचना दी गई है. वही व्यवस्था हिंदी माध्यम के स्कूलों को भी उपलब्ध कराई जाए. इसी मांग को लेकर प्रमुख सचिव शिक्षा विभाग डॉक्टर आलोक शुक्ला और शिक्षा सचिव डॉक्टर कमलप्रीत सिंह पत्र लिखा गया है.