बिलासपुर। संचार क्रांति योजना में गड़बड़ी को लेकर दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को शासन ने दस्तावेज प्रस्तुत किए. शासन ने मंत्री परिषद की बैठक का विवरण पेश किया. इसमें अब आगे मोबाइल नहीं बांटे जाने की बात कही गई है. हाई कोर्ट ने प्रकरण में 20 सितंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में सुनवाई रखी है.
डिजिटल इण्डिया अभियान में शासन की संचार क्रांति योजना (स्काय) के अंतर्गत बलौदा जनपद के ग्राम नवगवां में 12 लाख की लागत से टावर लगाने के साथ ही 480 लोगों को मोबाइल वितरित किया जाना था. सरकार ने सारे मोबाइल ग्राम पंचायत भिजवा दिए. इसके बाद मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत बलौदा ने सारे फोन अपने दफ्तर मंगवा लिए और कहा कि हम इसका वितरण कराएंगे.
काफी समय बीत जाने पर भी जब वितरण शुरू नहीं हुआ तो ग्राम सरपंच ने जनपद से लेकर जिला पंचायत जांजगीर और जिला कलेक्टर जांजगीर को भी अभ्यावेदन दिया, लेकिन कोई पहल नहीं हुई. बाद में बताया गया कि इस इलाके में नेटवर्क ठीक नहीं है, इसलिए यहां मोबाइल नहीं बटेंगे. परेशान होकर ग्रामीण परमानन्द राठौर ने अधिवक्ता रत्नेश अग्रवाल के माध्यम से जनहित याचिका दायर की.
इस पर पहले तत्कालीन चीफ जस्टिस और जस्टिस पीपी साहू की डिविजन बेंच में सुनवाई हुई थी. याचिका में कहा गया कि पहले ही सर्वे करा लिया गया था, कनेक्टिविटी की जांच की गई. इसके बाद ही इस ग्राम के लिए योजना जारी की गई. इसमें पूरे छत्तीसगढ़ को डिजिटल बनाया जाना है. इसके बावजूद योजना में अनियमितता की जा रही है.
पिछली बार सुनवाई में हाईकोर्ट ने अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने 3 सप्ताह का समय सरकार को दिया था. आज एक्टिंग चीफ जस्टिस व जस्टिस एनके चन्द्रवंशी की स्पेशल डिविजन बेंच में मामले में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने शासन के वकील से कहा है कि आपने यदि संचार क्रांति योजना बंद कर दी है तो दस्तावेज बताएं.
इस पर शासन के वकील ने मंत्री परिषद बैठक की नोटशीट पेश की है. इसमें कहा गया है कि अब तक जितने मोबाइल बांट दिए गए हैं उसके बाद अब भविष्य में कोई मोबाइल नहीं बांटे जाएंगे. दूसरी ओर यह भी बताया गया कि जहां नेटवर्क उपलब्ध नहीं है, वहां मोबाइल टावर जरूर लगाए जाएंगे. इस तरह शासन ने नेटवर्क उपलब्ध कराने की बात को वापस नहीं लिया है. आज डिवीजन बेंच ने 20 सितंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में सुनवाई निर्धारित की है.