रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में ISBT अंतरराज्यीय बस टर्मिनल (Interstate Bus Terminal) पिछले दो सालों से बनकर तैयार है और अपने लोकार्पण का इंतजार कर रहा है. 50 करोड़ की लागत से बने इस बस टर्मिनल की 3 बार लोकार्पण की तैयारी की गयी थी, लेकिन किसी ना किसी वजह से लोकार्पण टलता गया और अब करोड़ों का टर्मिनल बूत बनकर खड़ा है. बस टर्मिनल के लोकर्पण की कई तारीखें बीत गई, लेकिन आज भी इसे लोकार्पण का इंतजार है. पिछले 2 सालों से बस अड्डे के लोकार्पण के केवल तारीख तय की जा रही है लेकिन आज तक इसका लोकार्पण नहीं हो पाया. 2 साल पहले 25 एकड़ जमीन पर इसका निर्माण हुआ है
विदेशों में बने बस स्टैंड की तर्ज पर कंट्रोल रूम और तमाम यात्री सुविधाएं लोगों को यहां मिलने वाली थी. लेकिन निर्माण के दो साल बाद भी अब तक ये बस टर्मिनल (ISBT Raipur) शुरू नहीं हो पाया है. आलम ये है कि आईएसबीटी परिसर का ये इलाका असामाजिक तत्वों का अड्डा बन चुका है और बिल्डिंग के खिड़की-दरवाजे और उसमे लगे कांच भी टूट चुके है.
आखिर लोकार्पण में क्यों हो रही देरी
दरअसल ये प्रोजेक्ट पिछली सरकार के समय तैयार किया गया था. लेकिन रमन सरकार इसका लोकार्पण नहीं करा पायी. वजह ये है कि ये बस टर्मिनल दूधाधारी मठ ट्रस्ट की जमीन पर बनी हुई है. ट्रस्ट के प्रमुख मंहत रामसुंदर दास के मुताबिक तत्कालीन सरकार द्वारा मठ की जमीन में बस स्टैंड बनाने का प्रस्ताव दिया गया था और मठ द्वारा कुछ शर्तें भी रखी गई थी जिसमें बस स्टैंड के नामकरण से लेकर दी गयी जमीन के एवज में सरकार से 30 एकड़ नई जमीन और बस स्टैंड में दुकानों के बारे में भी लिखित रूप से अनुबंध किया गया था, लेकिन कोई भी शर्त अब तक पूरी नहीं हुई है.
इधर मठ से जुड़ी शर्तों को पूरा किए बिना फिर एक बार रायपुर नगर निगम और स्मार्ट सिटी 23 अगस्त को इस बस टर्मिनल के लोकार्पण की तैयारी कर रहा है. इस विवाद को लेकर महापौर एजाज ढेबर का कहना है कि मठ की जमीन के सिलसिले में फैसला कैबिनेट लेगी, क्योंकि ये टर्मिनल पिछले 2 सालों से बनकर तैयार है. इसलिए इसका लोकार्पण कराया जा रहा है.