छत्तीसगढ़ में बिजली संकट, उद्योगों पर असर; CM भूपेश बघेल ने बताई ये वजह

रायपुर. बिजली के मामले में सरप्लस राज्य का तमगा रखने वाले छत्तीसगढ़ में इस बार बिजली संकट के हालात बन रहे हैं. सप्लाई की तुलना में मांग अधिक होने से उद्योगों की बिजली काटने की बात कही जा रही है. बिजली संकट को देखते हुए अभी उद्योगों में लोड शेडिंग की जा रही है. अधिकारियों के मुताबिक अगर हालात जल्द नहीं सुधरे तो ग्रामीण अंचल और घरेलू स्तर पर भी लोड शेडिंग की जा सकती है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी माना है कि मांग के मुताबिक सप्लाई कम है, हालांकि उनका कहना है कि बिजली की ज्यादा खपत को तरक्की से भी देखना चाहिए. आपूर्ति खपत के अनुपात में नहीं है. इसपर अलग से आंकड़ों के साथ बात करूंगा कि ये किसकी गलतियों से हुआ है.

 

दरअसल इस साल बारिश नहीं होने से प्रदेश में बिजली की मांग बढ़ोतरी हुई है. आंकड़ों के मुताबिक अगस्त-सितंबर में प्रदेश में औसत मांग पूरे प्रदेश में लगभग चार हजार मेगावाट की रहती थी, लेकिन मानसून की बेरुखी की वजह से ये मांग 4700 मेगावाट तक पहुंच गई है. प्रदेश के DSPM यानी डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी थर्मल पावर स्टेशन से 400 मेगावाट, कोरबा सुपर थर्मल पावर स्टेशन से 900 और मड़वा से 650 मेगावॉट बिजली मिल रही है. इसी तरह सेंट्रल पूल से 2000 और प्रायवेट-बायोमास से 300 मेगावाट बिजली की आपूर्ति हो रही है, जबकि 400 मेगावाट की बिजली दूसरे राज्यों से ली जा रही है. अधिकारियों के मुताबिक डिमांड और सप्लाई को मेंटेन करने के लिए उद्योगों में लोड शेडिंग की जा रही है.

छत्तीसगढ़ में बिजली संकट को सीएम ने भी स्वीकार किया है. उन्होंने कहा कि इस मसले पर वह जल्द विस्तार से बात करेंगे. उन्होंने कहा कि हमारे राज्य में बिजली की खपत बढ़ी है. किसान उद्योगपति से लेकर घरेलू इस्तेमाल तक बिजली की खपत बढ़ी है, जिसका आशय है कि राज्य तरक्की कर रहा है. आपूर्ति खपत के अनुपात में नहीं है, जिसपर अलग से आंकड़ों के साथ बात करूंगा. ये किसकी गलतियों से हुआ है, इसपर अलग से आंकड़ों के साथ चर्चा करूंगा.

 

जानकारों का कहना है कि कम बारिश की वजह से किसान पंपों से जरिए ही अपने खेतों में सिंचाई कर रहे हैं, जिसकी वजह से बिजली खपत लगातार बढ़ी है. आने वाले दिनों में जल्द बारिश नहीं हुई तो स्थिति और गंभीर हो सकती है. बिजली कटौती की एक बड़ी वजह कोयला की कमी भी है. सरकार के तीन पॉवर प्लांटों में तीन से चार दिन का ही कोयले का स्टॉक बचा है. कोरबा वेस्ट और DSPM में तीन और मड़वा में चार दिन का ही कोयला शेष बचा है . बिजली कंपनी के अधिकारियों के मुताबिक अगर आने वाले समय में पानी नहीं गिरा और डिमांड बढ़ती है तो फिर उद्योगों के साथ साथ ग्रामीण अंचल और घरेलू सेक्टर में भी लोड़ शेडिंग की नौबत आ सकती है. वहीं बीजेपी का कहना है कि सरकार का तथ्य भ्रामक है. सच्चाई यह है कि प्रदेश में बिजली उत्पादन क्षमता घट गई है. यही इस सरकार की उपलब्धि है.

बिजली विभाग के मुताबिक इन दिनों प्रदेश में मांग करीब 4700 मेगावाट की है, जबकि उपलब्धता 3850 मेगावाट की है. बारिश नहीं हो रही है और खेती के लिए पंप के जरिए ही पानी की सप्लाई की जानी है. आगे त्यौहारी सीजन भी है. लिहाजा आने वाले समय में बिजली की मांग और अधिक बढ़ेगी. ऐसे में बिजली उत्पादन बढ़ाना और दूसरे राज्यों से और बिजली लेना सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *