हसन खान. मैनपुर. गरियाबंद जिले के अंतर्गत आने वाले मैनपुर के ग्राम ईचरादी में रहने वाले आदिवासियों ने अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए झोपड़ी बनाई है। इसे बनाने के लिए यहां के रहने वाले लोगों ने बकायदा आपस में चंदा किया। यहां के रहवासियों का कहना है कि मैनपुर से करीब 46 किलोमीटर दूर बीहड़ जंगल ओडिशा सीमा से लगे इस गांव में शासन ने एक भी सरकारी स्कूल नहीं खोला है। गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखंड मैनपुर क्षेत्र के ग्रामीण वनांचल इलाकों में बांस व लकड़ी के झोपडी का निर्माण कर इसमें बच्चों का भविष्य गढ़ रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि इस विद्यालय में इस शिक्षा सत्र में कुल 37 बच्चे है और एक झोपड़ीनुमा कमरे मे पांच कक्षाएं संचालित हो रही है, जिसे एक मात्र शिक्षक के माध्यम से संचालित किया जा रहा है। उनका कहना है कि आज तक शिक्षा विभाग का कोई भी अधिकारी और कर्मचारी इस गांव में नहीं पहुंचे है। इस शिक्षा सत्र में बीईओ मैनपुर द्वारा व्यवस्था के रूप मे एक शिक्षक महेश ध्रुव की व्यवस्था की है, तब कहीं जाकर इस आदिवासी गांव के बच्चों को शिक्षा हासिल हो पा रही है।
आवासीय विशेष प्रशिक्षण केंद्र भी बंद ग्राम ईचरादी में वर्ष 2012-13 से आवासीय विशेष प्रशिक्षण केन्द्र खोला गया था, जो संकुल केन्द्र भूतबेड़ा के अंतर्गत आता है। यहां स्कूल नहीं होने की वजह से बच्चों को शिक्षित करने के उद्देश्य से सर्व शिक्षा अभियान द्वारा यहां एसआरटीसी केन्द्र खोला गया था, लेकिन यह आवासीय विशेष प्रशिक्षण केन्द्र मात्र एक वर्ष संचालित होने के बाद बंद कर दिया गया। बजट नहीं था, इसलिए बंद हो गया राजीव गांधी शिक्षा मिशन द्वारा मैनपुर विकासखंड के ग्राम ईचरादी में भी आवासीय विशेष प्रशिक्षण केन्द्र संचालित किया जा रहा था। जिसे बजट के अभाव में बंद कर दिया गया है, लेकिन ग्रामीणों द्वारा यहां लगातार मकान का निर्माण कर स्कूल संचालित किया जा रहा है। पिछले शिक्षा सत्र में शासन के आदेशानुसार यहां एक अनुदेशक की व्यवस्था की गई थी। इस सत्र में भी यहां शिक्षक की व्यवस्था की गई है, यह स्कूल शासन के रिकार्ड में नहीं है। ईचरादी में नया प्राथमिक शाला खोलने प्रस्ताव भेजा गया है।