आसा अउ बिस्वास जगाबो, आत्महत्या के विचार ला दूर भगाबो, स्‍लोगन पर हुआ नाटक का मंचन

रायपुर : विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर 10 अक्टूबर 2019 का इस वर्ष थीम “आत्महत्या की रोकथाम पर ध्यान’’ विषय पर केंद्रित करते हुए प्रदेश सहित राजधानी में भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ प्रियंका शुक्‍ल द्वारा बनाए गए स्लोगन ‘’आसा अउ बिस्वास जगाबो, आत्महत्या के बिचार ला दूर भगाबो,,,,, तोर जगह कोई नइ ले सके ‘’ पर आधारित जागरुकता कार्यक्रम 9 से 12 अक्टूबर 2019 तक सभी जिलों में विभिन्न गतिविधियां आयोजित किए जा रहे हैं। कार्यक्रम में नाटक के माध्‍यम से संदेश देते हुए मनोरोगियों की पहचान एवं इलाज, सेल्फी कंपटीशन और तनाव प्रबंधन पर आधारित कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।


विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर आज रायपुर नगर निगम के आमानाका स्थित सामुदायिक भवन कुकुरबेड़ा मुहल्‍ले में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत नि:शुल्‍क स्‍वास्‍थ्‍य जांच शिविर और नाटक का मंचन और जनचौपाल के तहत नशा मुक्ति पर चर्चा किया गया। कार्यक्रम का मूल उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जन जागरूकता को बढ़ाना देना है। साथ ही क्षणिक आवेश में लिए जाने वाले आत्‍महत्‍या जैसे फैसलों को रोकने के लिए बच्चों द्वारा प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक के माध्यम से संदेश जन-जन तक पहुंचाना है। बच्चों के माध्यम से संदेश को जन-जन तक पहुंचाना है। अध्‍ययन ऐकडमी स्‍कूल एकता नगर गुढि़यारी के स्‍कूली बच्‍चों ने किसानों की आर्थिक तंगी और साहूकार के कर्ज से लदे किसान जो मौसम की मार से फसल चौपट होने पर परेशानियों से जुझता है। और कर्ज की बोझ में आत्‍महत्‍या जैसे कदम उठाने को विवश होता है। इसी तरह एक अन्‍य नाटक में आधुनिक जीवनशैली में माता-पिता बच्‍चों को कम समय देते हैं। बच्‍चा घर में खुद को अकेला महसूस करने लगता है। और घर परिवार को छोड़कर किशोर मन विचलित होकर चला जाता है। ऐसे समय में परिवार में माता पिता को बच्‍चों को एक दोस्‍त की तरह व्‍यवहार करना चाहिए। इस तरह नाटक जरिये शराब के नशे में परिवार में कलह से होने वाले प्रभाव को भी मंच में प्रस्‍तुति दी गई। वहीं बच्‍चों में मोबाइल गेम और बुरे संगत की वजह से नशे की लत लगने से पढ़ाई लिखाई पर होने वाले असर को भी बारिकी से अभिनय के माध्‍यम से पेश किया गया। लेकिन समय रहते टीचर और मां के द्वारा बच्‍चों के व्‍यवहार में होने वाले परिवर्तन को संज्ञान में लेकर मनोचिकित्‍सक से इलाज कराया जाता है। बच्‍चों के द्वारा प्रस्‍तुत संदेशप्रद अभिनय को लोगों ने खुब सराहा।
कार्यक्रम की जानकारी देते हुए सहायक चिकित्सा अधिकारी डॉ डीएस परिहार ने बताया, मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से साथी उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए हेल्थ चेकअप का आयोजन भी किया गया हेल्थ चेकअप के माध्यम से लोगों को लोगों में बीपी शुगर हाइपरटेंशन, कैंसर मुक्त मुख, एवं ब्रेस्ट कैंसर की जांच भी महिला चिकित्सकों द्वारा की गई। राष्‍टीय मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम के उपसंचालक डॉ. महेंद्र सिंह ने बताया, समाज व परिवार के बीच संवादहीनता की वजह से बढ़ते तनाव कई तरह की सामाजिक बुराईयों को जन्‍म देता है। इस लिए हमारे आसपास जब भी कोई तनाव से ग्रसित हो तो हमें उसकी सहायता करनी चाहिए। आमतौर पर मानसिक अवसाद को लेकर समाज में फैली जनधारणा ही वजह से लोग समय पर इलाज कराने अस्‍पताल नहीं पहुंच पाते है़। जबकि समय रहते हम मानसिक विकारों का इलाज कराकर परिवार और समाज में सुख शांति का माहौल बना सकते हैं। मनोवैज्ञानिक सुश्री ममता गिरी गोस्‍वामी समुदाय में जागरुकता लाने के लिए जनचौपाल आयोजित कर नशापान से होने वाले दुष्‍प्रभावों पर चर्चा किया गया। इसके अलावा शराब की लत एवं परिवार पर पड़ने वाले प्रभाव पर भी आम जनता के साथ विचार विमर्श किया गया। स्‍वास्‍थ्‍य शिविर में लगभग 200 से अधिक लोगों ने स्‍वास्‍थ्‍य जांच की गई।
इस अवसर पर जिला स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी व जिला मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम के नोडल अधिकरी डॉ एसके सिंहा, डीपीएम सुश्री रंजना पैकरा, मनोरोग प्रभारी चिकित्‍सा अधिकरी स्‍पर्श क्‍लीनिक जिला अस्‍पताल डॉ संजीव मेश्राम, सहायक चिकित्‍सा अधिकारी डॉ. संध्‍या सिंह, स्‍टाफ नर्स हेमलता साहू, किरण शर्मा, अध्‍ययन एकेडमी की प्रिंसिपल श्रीमती ऊषा सिंह, मितानित, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, स्‍कूली छात्र, स्‍थानीय जनप्रतिनिधि और नागरिक भी उपस्थित हुए।

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