6th Navratri : आज करें मां कात्यायनी की अराधना, नोट कर लें पूजा- विधि, मंत्र, आरती और भोग

6th Navratri : आज छठी नवरात्रि है। नवरात्रि के दौरान मां के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। मां का छठा रूप माता कात्यायनी का है। महिषासुर और शुभ-निशुभ दानव का वध माता ने ही किया। कात्यायन ऋषि की पुत्री होने के कारण मां का नाम कात्यायनी पड़ा। मां को महिषासुर मर्दनी भी कहा जाता है। मां कात्यायनी ने महिषासुर, शुम्भ और निशुम्भ का वध कर नौ ग्रहों को उनकी कैद से छुड़ाया था। मां कात्यायनी की पूजा भगवान राम और श्रीकृष्ण ने भी की थी। आइए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजा- विधि, मंत्र, आरती और भोग…

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और फिर साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
  • मां की प्रतिमा को शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान कराएं।
  • मां को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
  • मां को स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
  • मां को रोली कुमकुम लगाएं।
  • मां को पांच प्रकार के फल और मिष्ठान का भोग लगाएं।
  • मां कात्यायनी को शहद का भोग अवश्य लगाएं।
  • मां कात्यायनी का अधिक से अधिक ध्यान करें।
  • मां की आरती भी करें।
  • मां कात्यायनी मंत्र

    या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

    • मां कात्यायनी की आरती-

    जय-जय अम्बे जय कात्यायनी

    जय जगमाता जग की महारानी

    बैजनाथ स्थान तुम्हारा

    वहा वरदाती नाम पुकारा

    कई नाम है कई धाम है

    यह स्थान भी तो सुखधाम है

    हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी

    कही योगेश्वरी महिमा न्यारी

    हर जगह उत्सव होते रहते

    हर मंदिर में भगत हैं कहते

    कत्यानी रक्षक काया की

    ग्रंथि काटे मोह माया की

    झूठे मोह से छुडाने वाली

    अपना नाम जपाने वाली

    बृहस्‍पतिवार को पूजा करिए

    ध्यान कात्यायनी का धरिए

    हर संकट को दूर करेगी

    भंडारे भरपूर करेगी

    जो भी मां को ‘चमन’ पुकारे

    कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

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