”ग्लोबल हैंडवॉशिंग डे” का थीम “सभी के लिए स्वच्छ हाथ”

रायपुर : स्‍कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों में 15 अक्टूबर को ”ग्लोबल हैंडवॉशिंग डे” (Global Hand washing Day 2019) मनाया जाएगा। हर साल इस खास दिन का कोई थीम होता है। इस बार का थीम है “सभी के लिए स्वच्छ हाथ” (Clean Hands for All) । ”ग्लोबल हैंडवॉशिंग डे” का मुख्य उद्देश्य है लोगों को अपने हाथों की साफ-सफाई के प्रति जागरूक करना। राजधानी रायपुर सहित जिले की 1870 आंगनबाड़ी केंद्रों में हाथ धुलाई दिवस के मौके पर लगभग 70,000 बच्चे,  सरकारी व मान्यता प्राप्त 1662 स्‍कूलों के 4.25 लाख और 601 निजी स्कूलों में भी 1.65 लाख सहित 6.60 लाख स्टूडेंट हैंड वाशिंग-डे को सेलिब्रेट करेंगें।

इस वर्ष का थीम सतत और संपूर्ण विकास के एजेंडे पर आधारित है, ताकि कोई भी व्यक्ति पीछे ना रह जाए। अक्सर, हम अपने बच्चों को सिखाते हैं कि खाना खाने से पहले अच्छी तरह से हाथ साफ कर लेना चाहिए, पर कितने ही वयस्क और पेरेंट्स खुद इस बात को भूल जाते हैं। स्वस्थ रहने के लिए हाथों का साफ-सुथरा होना बेहद जरूरी है ना सिर्फ बच्चों के लिए, बल्कि सभी वयस्कों और बुजुर्गों के लिए भी। साबुन से हाथ नहीं धोने से या हाथ धोने के लिए पुराने पारंपरिक तरीके जैसे मिट्टी, राख इत्यादि से हाथ धोने से बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। पब्लिक हेल्थ एसोशिएसन के अनुसार भारत में 53 प्रतिशत आबादी शौंचालय के बाद साबुन से हाथ धोती है। वहीं 38 प्रतिशत आबादी खाने से पहले साबुन से हाथ धोती है और भोजन तैयार करने से पहले केवल 30 फीसदी आबादी साबुन से हाथ धोती है। हाथ धोने की प्रक्रिया को अधिकांश लोग अभी भी गंभीरता से नहीं लेते हैं, खासतौर से बच्चों के मामले में जिसकी वजह से आये दिन बच्चे डायरिया और निमोनिया जैसी बीमारियों के शिकार होते हैं। इन बीमारियों से बचाव हेतु सभी में हाथ धोने के प्रति जागरूकता लाना बहुत जरूरी है, ताकि इन बीमारियों से होने वाली शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सकें।

जिला शिक्षा अधिकारी जी आर चंद्राकर ने बताया, ”ग्लोबल हैंडवॉशिंग डे” (Global Handwashing Day 2019) का मुख्य उद्देश्य है लोगों को अपने हाथों की साफ-सफाई के प्रति जागरूक करना। इससे कई तरह के संक्रामक बीमारियों से बचे रह सकते हैं।  बच्चों को हैंड वॉशिंग के बारे में कम उम्र से बताना शुरू कर देना चाहिए, ताकि वह किसी भी इंफेक्शन से बचे रहें। हाथों की साफ-सफाई की शुरुआत घर से ही करनी चाहिए। और जब बड़े घर से इस हेल्दी हाइजीन हैबिट की शुरुआत करते हैं, तो बच्चे भी इसका अनुसरण करते हैं। भारतीय संस्कृति में विशेष रूप से हाथ से ही खाना खाने की संस्कृति है इसलियें खाना खाने  से पहले ओर शौच के बाद उचित ढंग से हाथ की सफाई आवश्यक  है ।

ज़िला महिला एवं बाल विकास अधिकारी अशोक कुमार पाण्डेय ने बताया, ग्लोबल हैंड वाशिंग डे पर आंगनबाड़ी केंद्रों तीन से 6 साल तक के बच्‍चों के साथ हाथ धुलाई करके इस दिवस को आंगनबाड़ी केंद्रों पर सेलिब्रेट करेंगे । साथ ही ज़िले में 6 माह की आयु के बच्चों का अन्नप्रासन्न की शुरूआत भी की जायेगी । सुपोषण मेले में स्कूली छात्राओं की मौजूदगी में सुपोषण क्विज का आयोजन किया जायेगा तथा किशोरियों को उचित खान पान एवं आयरन की गोलियां खाने की सलाह दी जायेगी। सभी नागरिक को स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छता जरूरी है। स्वच्छता की संरचना आंगनबाड़ी केंद्र से की गयी है, क्योकि बच्चों के स्कूल पूर्व शिक्षा इन आंगनबाड़ी केंद्रों पर दी जाती है। अच्छी एवं स्वस्थ्य आदत का विकास बच्चों में इन्ही संस्थाओं द्वारा बीजारोपित किया जाता है। समस्त आंगनबाड़ी केंद्रों में हाथ धुलाई दिवस कार्यक्रम का आयोजन होगा । साथ ही बच्चों को साबुन से हाथ धोने, साफ कपड़े पहनने, केन्द्र के आसपास सफाई रखने, स्वच्छ जीवन जीने, बीमारियों से मुक्ति पाने की जानकारी दी जायेगी । उन्होंने कहा कि स्वच्छ जीवनशैली एवं संतुलित पोषाहार ही इंसान को बीमारी एवं कुपोषण से बचाता है।

जिला स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी एवं शिशु रोग चिकित्‍सक डॉ एसके सिंहा ने बताया, भारत में बाल मृत्यु के लिए डायरिया और निमोनिया का संक्रमण सबसे मुख्य कारण है। नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे -4 (2015-2016) के अनुसार, रायपुर जिले में  5.1% बच्चों को डायरिया (5 साल से कम उम्र के) हुआ था और 0.5 % बच्चों में  निमोनिया की शिकायत थी। केवल हाथ साफ़ रखने से ही इन दोनों बीमारियों से बच्चों को बचाया जा सकता है| डबल्यूएचओ के अनुसार पाँच साल से कम उम्र के लगभग 5.25 लाख बच्चों की मृत्यु हर साल डायरिया के कारण तथा लगभग 9.20 लाख बच्चों की मृत्यु निमोनिया के कारण होती हैं क्योंकि यह दोनों बीमारियां साफ-सफाई न रखने व हाथ न धोने के कारण अधिक होती हैं। महत्वपूर्ण समय खाना बनाते या खाना खाने से पहले और शौच के बाद, साबुन से हाथ धोने से तेज श्वास संक्रमण की दर को 23 प्रतिशत और डायरिया की दर को 40 प्रतिशत से अधिक तक कम किया जा सकता हैं। एक अध्ययन से पता चलता है कि बच्चों का प्रसव कराने वाले व माताओं के साबुन से हाथ धोने से नवजात शिशु के जीवित रहने की संभावना 44 प्रतिशत तक बढ़ जाती हैं।

हाथ न धोने से होने वाली बीमारियाँ-

·       दस्त
·       श्वसन संक्रमण
·       टाइफाइड
·       निमोनिया
·       पेट संबंधी रोग
·       पीलिया
·       आँख की बीमारी
·       हैजा
·       त्वचा संबंधी रोग आदि।

हाथ धोना कब-कब जरूरी होता है-

·       शौञ्च के बाद
·       खाना बनाने व खाने से पहले
·       घर की साफ-सफाई करने के बाद
·       पालतू जानवरों के साथ खेलने के बाद।
·       किसी बीमार व्यक्ति से मिलकर आने के बाद।
·       छींक या खांसी के बाद।
·       खेलने व बागवानी के बाद।

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