बस्तर। बस्तर में स्व-सहायता समूह की महिलाओं के हाथों निर्मित काजू-कतली का स्वाद खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी चखा है और अब लगातार बस्तर के काजू कतली की डिमांड बढ़ती जा रही है। यही वजह है कि बहुत जल्द अब आदिवासी महिला स्व-सहायता समूह द्वारा निर्मित काजू कतली शहर के विभिन्न जगहों में भी स्टॉल लगा कर बिक्री की जाएगी, ताकि समूह से जुड़ी महिलाएं काजू-कतली बेचकर आत्मनिर्भर बन सकें और उन्हें अच्छी-खासी आय भी हो सके। बस्तर की आदिवासी महिलाएं भी लगातार अपने हुनर के जरिए देश में नाम कमा रही हैं। एक तरफ जहां बस्तर की महिलाओं के द्वारा बनाए जाने वाली बेल मेटल कला, काष्ठ कला, मूर्तिकला और कोसा से बनाए जाने वाले सामाग्री देश-विदेशों में पहचान बन चुकी है, वहीं अब दूसरी तरफ आदिवासी महिलाएं मिठाइयां भी तैयार कर रही हैं। बस्तर के लोकल काजू से स्व-सहायता समूह की महिलाएं तीन प्रकार के काजू कतली बनाए रहे हैं। जिसमें एक देसी गुड़ से बनी काजू कतली स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए भी पसंदीदा मिठाई बन चुकी है। कई लोग इसका स्वाद चखने स्व सहायता समूह के स्टॉल में पहुच रहे हैं। समूह की अध्यक्ष बसंती बघेल ने बताया कि उनके द्वारा बकावंड ब्लॉक के राजनगर से काजू प्रसंस्करण यूनिट से 450 रु किलो की कीमत से काजू खरीदा जा रहा है और स्थानीय महिलाओं के द्वारा इससे काजू कतली तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि बाजार में काजू कतली की कीमत 800 से 900 रुपये है। जबकि उनकी समूह लोगों को शुद्ध काजू कतली केवल 600 रुपये किलो के कीमत में बिक्री कर रहा हैं। वही बस्तर कलेक्टर ने कहा कि जिला प्रशासन लगातार बस्तर के आदिवासी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने में जुटा हुआ है। बस्तर की काजू से मिठाई तैयार करने के लिए वन विभाग के द्वारा पहल करने के बाद प्रशासन ने स्व-सहायता समूह की महिलाओं को संसाधन उपलब्ध कराया। इन महिलाओं के द्वारा लगातार काजू कतली मिठाई बनाई जा रही है। कलेक्टर ने बताया कि बस्तर की महिलाओं के द्वारा शुद्ध काजू से तैयार किया जा रहा है। डिमांड लगातार बढ़ रही है।
‘काजू-कतली’ से पूरी दुनिया में पहचान बना रहा अपना बस्तर, मिठास के मुरीद हो गए मुख्यमंत्री
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