BJP सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर का ‘भारत भक्ति अखाड़ा’ बनाएगा अपना सेंसर बोर्ड! रिलीज से पहले साधु-संत देखेंगे फ़िल्में

आश्रम -3 वेब सीरीज़ को लेकर विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है. सोमवार को साधु-संतों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भोपाल सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Pragya Singh Thakur) से मुलाकात की. मुलाकात के बाद प्रज्ञा सिंह ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि उनका संगठन भारत भक्ति अखाड़ा (Bharat Bhakti Akhada) एक व्यवस्था बनाएगा, जिसके तहत फिल्म रिलीज़ से पहले साधु-संत फिल्म को देखेंगे और तय करेंगे कि उसमें कोई विवादित विषय न हो.

‘फिल्म या वेब सीरीज़ बनाकर धर्म को बदनाम करना स्‍वीकार्य नहीं’

प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि, ‘मैं एक व्यवस्था बनाने का प्रयास कर रही हूं औऱ भारत भक्ति अखाड़े में ये व्यवस्था होगी. हम अभी तक पिक्चर नहीं देखते थे. अपनी ध्यान साधना में लगे रहते थे, पहले हम ध्यान नहीं देते थे कि ऐसा कुछ भी बनता है. परंतु अब कानून हम एक डिपार्टमेंट बनाएंगे और ये काम भारत भक्ति अखाड़ा करेगा. और किसी प्रकार की मूवी आती है तो हम लोगों को बैठाएंगे और देखेंगे कि धर्म के साथ, धर्मगुरुओं के साथ, धर्मशास्त्रों के साथ, धर्मध्वजा के साथ, धरा धन धरोहर इनके साथ कोई खिलवाड़ स्वीकार नहीं है. सनातन धर्म अक्षुण था, है और रहेगा. अगर कोई व्यक्ति अपराधी है तो निश्चित रुप से कानून उसकों दंडित करेगा उसकी व्यवस्था है. लेकिन फिल्म या वेब सीरीज़ बनाकर उसे बदनाम करने का प्रयास किया जाए या उसे मनोरंजन का साधन बनाया जाए, ये स्वीकार नहीं है.’

क्‍या फिल्म रिलीज़ होने से पहले लेनी होगी साधु -संतों की अनुमति?

दरअसल प्रज्ञा ठाकुर को संतों ने एक ज्ञापन सौंपकर इस तरह के फिल्मों और फिल्म को नामों पर रोक लगाने की मांग की थी. साधु संतों का कहना था कि कोई फिल्म किसी औऱ धर्म पर नहीं बनती. इस तरह कि फिल्मों से हिंदू धर्म को बदनाम करने की एक साजिश हो रही है. प्रज्ञा सिंह के बयान के बाद सवाल ये खडा हो रहा है कि क्या अब हर फिल्म रिलीज़ होने से पहले साधु संतों की अनुमति लेनी होगी. सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या ये संभव है कि हिंदूवादी संगठन हर फिल्म देखकर ये तय करे कि वो फिल्म रिलीज़ होने लायक है या नहीं. मामले में सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि फिल्म की शूटिंग से पहले प्रशासन को फिल्म की स्क्रिप्ट और कंटेट दिखाकर शूटिंग की अनुमति लेनी होगी. अब सवाल यह उठता है कि क्या फिल्म मेकर के लिए ये संभव है कि वो अब हिंदूवादी संगठनों को भी फिल्म दिखाकर संतुष्ट करें? प्रज्ञा सिंह के बयान के बाद ये विवाद और गरमा सकता है.

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