नेम-निष्ठा और लोक आस्था का महापर्व छठ सोमवार आठ नवंबर को नहाय खाय के साथ प्रारंभ हो रहा है। दीपावली के छह दिन के उपरांत कार्तिक मास की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है। मंगलवार को खरना के साथ 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा। व्रती संतान की प्राप्ति, सुख-समृद्धि, संतान की दीघार्यु और आरोग्य की कामना के लिए साक्षात सूर्य देव और छठी मैया की आराधना करती हैं।
कोरोना काल के बाद एक वर्ष के उपरांत इस वर्ष बगैर किसी पाबंदी के छठ पर्व मनाने की प्रशासनिक अनुमति प्रदान की गई है। इसको लेकर छठ व्रती समेत आमलोगों में हर्ष है। इस वर्ष त्रासदी झेलने के उपरांत आम लोगों में छठ पूजा को लेकर आस्था और भी प्रगाढ़ हुआ है।
10 को अस्ताचलगामी और 11 को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य
- पंचांग के अनुसार 9 नवंबर मंगलवार को खरना है। इस दिन व्रती संध्या में आम की लकड़ी से मिट्टी के बने चूल्हे पर गुड़ का खीर बना कर भोग अर्पण करती हैं और प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करती है। इसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। इससे एक दिन पूर्व सोमवार को नहाय खाय के दिन महिलाएं सूर्योदय से पूर्व स्नान कर नूतन वस्त्र धारण कर पूजा करने के उपरांत चने की दाल कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण करेंगी।
- खरना के दूसरे दिन अर्थात 10 नवंबर बुधवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। छठ घाटों पर व्रत करनेवालों के साथ भक्तगण डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगे। इस दिन छठ घाट पहुंचने से पूर्व घर में सभी सदस्य मिलजुल कर पूर्ण साफ-सफाई से शुद्ध देसी घी में ठेकुआ बनाया जाता है। इसी ठेकुआ, चावल के आटा और घी से बने लड्डू, पांच प्रकार के फल व दीए के साथ पूजा का सूप सजाया जाता है। दौरा सिर पर रखकर लोग छठ गीत की धुन पर श्रद्धा भाव के साथ घाट पहुंचते हैं।
- सुबह 6.40 बजे उदीयमान सूर्य को अर्घ्य
इस वर्ष 11 नवंबर गुरुवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। पंचांग के अनुसार इस वर्ष 11 नवंबर को 6.40 सूर्योदय हो रहा है। सभी छठ घाटों पर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर से सुख समृद्धि और आरोग्यता की कामना की जाएगी। उदयीमान सूर्य को अर्घ्य के साथ ही चार दिनों तक चलने वाले लोक आस्था का यह महापर्व छठ संपन्न हो जाएगा।