छत्तीसगढ़ में रेडी टू ईट योजना से महिला स्व सहायता समूह बाहर- महिलाओं ने किया कलेक्ट्रेट का घेराव

कवर्धा: छत्तीसगढ़ में चल रही पूरक पोषण आहार व्यवस्था के तहत टेक होम राशन में रेडी टू ईट फूड के निर्माण से महिला स्व सहायता समूह को बाहर कर दिया गया है। यानि कि वे अब इसमें काम नहीं करेंगी। इसके चलते 3 लाख परिवारों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से महिलाओं और बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए वितरित किए जा रहे रेडी टू ईट पोषण आहार की गुणवत्ता को और बेहतर बनाने के लिए अब केन्द्रीयकृत व्यवस्था अपनाई जाएगी। इस व्यवस्था में स्वचलित मशीनों के जरिए रेडी टू ईट पोषण आहार का उत्पादन किया जाएगा। रेडी टू ईट में बनने वाले भोजन की गुणवत्ता को लेकर बार-बार सवाल उठ रहे थे। इस मामले में जांच की बात भी कही गई थी।

दरअसल, पूरक पोषण आहार व्यवस्था के तहत टेक होम राशन में रेडी टू ईट फूड निर्माण महिला स्व सहायता समूह कर रहे थे। वही इसके वितरण की जिम्मेदारी भी संभालते। इन योजना में आंगनवाड़ी केंद्रों के बच्चों से लेकर किशोरियों और शिशुवती महिलाओं को तैयार भोजन दिया जाता है। अब इस योजना को सेंट्रलाइज किया जा रहा है। इसके बाद राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम द्वारा स्थापित इकाइयों के माध्यम इसका निर्माण और वितरण किया जाएगा। जानकारी सामने आने के बाद से महिला समूह आक्रोशित हैं। गुरुवार को कवर्धा में जिले भर के करीब 30 से अधिक महिला स्व सहायता समूहों की सैकड़ों महिलाओं ने प्रदर्शन किया। कलेक्ट्रेट का घेराव करने पहुंची महिलाओं ने कहा कि जिले में 48 समूह इस काम में लगे हुए हैं। इसके जरिए उनका और परिवार का जीवन चलता है। शासन के इस फैसले से हम भूखे मर जाएंगे। इसके विरोध में सीएम के नाम कलेक्टोरेट में ज्ञापन भी सौंपा है। राज्य में यह योजना साल 2009 से संचालित है। इसके लिए 500 करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट तय किया गया है। जिसे महिला बाल विकास विभाग के जरिए आंगनवाड़ी केंद्रों के बच्चों के साथ ही अन्य लोगों को दिए जाने वाले रेडी-टू ईट फूड पर खर्च किया जाता है। इसका बड़ा हिस्सा आंगनवाड़ी केंद्रों में आने वाले बच्चों पर जाता है। फूड में मिलाए जाने वाले खाद्य पदार्थों में गेहूं का आटा, सोयाबीन, सोयाबीन तेल, शक्कर, मूंगफली, रागी और चना शामिल हैं।

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