चुनाव..चुनौती..चौसर, BJP का अग्निपथ! प्रभारियों के दौरे से कितनी बढ़ेगी कांग्रेस की चुनौती?

रायपुरः नगरीय निकाय चुनाव के लिए चुनावी रणनीति को पुख्ता करने और अपने कार्यकर्ताओं में जोश फूंकने के लिए भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी और सह प्रभारी नितिन नबीन छत्तीसगढ़ के सतत दौरे पर हैं। वो बीरगांव, भिलाई,चरौदा और रिसाली नगर निगम के चुनाव संचालक समिति की बैठक लेकर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने में जुटे हैं। भाजपा का दावा है कि इस बार उनके कार्यकर्ता निकाय चुनाव में शानदार जीत दर्ज करेंगे। तो कांग्रेस ने भाजपा प्रभारियों के प्रदेश दौरों पर तंज कसते हुए…भाजपा कार्यकर्ता को हताश और हारा हुआ बताया। बड़ा सवाल ये कि निकाय चुनाव को लेकर भाजपा प्रदेश प्रभारियों के दौरे कार्यकर्ताओं को कितना उत्साहित कर पाते हैं। ये दौरे कांग्रेस के लिए कितनी चुनौती बढ़ाते हैं और क्या आधार है दोनों दलों की जीत के दावे का।

छत्तीसगढ़ में होने वाले 15 नगरीय निकाय चुनाव के लिए भाजपा की कमान प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी और सह प्रभारी नितिन नबीन के हाथ है। प्रदेश के सह प्रभारी नितिन नबीन ने रायपुर प्रदेश कार्यालय में बस्तर, रायपुर और सरगुजा संभाग में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव को लेकर चुनाव संचालकों की बैठक ली। इसी क्रम में बुधवार को प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी भी प्रदेश दौर पर आएंगी। वो भिलाई रिसाली और भिलाई- चरौदा नगर निगम के चुनाव संचालकों की बैठक लेंगी। ये दोनों प्रभारी मुख्यमंत्री के गृह जिले जहां तीन नगर निगम के चुनाव होने हैं। वहां दौरा कर जिला पदाधिकारियों की बैठक लेंगे। प्रदेश सह प्रभारी नितिन नबीन का दावा है कि जनका का समर्थन देखकर लगता है कि इस बार निकाय चुनाव में भाजपा कार्यकर्ता मुख्यमंत्री के गृह जिले में शानदार जीत दर्ज करेंगे।

इधऱ, भाजपा के इस दावे और प्रदेश प्रभारियों के सतत दौरों पर PCC अध्यक्ष मोहन मरकाम ने तंज कसते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव के हार से अब तक उबर नहीं पाई है। कार्यकर्ता हताशा के दौर में हैं। भाजपा नगर निगम, पंचायत चुनाव और उपचुनाव सब कुछ हारती रही है। इसीलिए हार के डर से अब भाजपा के प्रदेश प्रभारी नगरीय निकाय चुनाव में मोर्चा संभालने खुद आ रहे हैं, लेकिन उन्हें निकाय चुनाव में भी मुंह की खानी पड़ेगी।

वैसे, किसी भी चुनाव में अपनी-अपनी जीत के दावे करना कोई नई बात नहीं है। कांग्रेस को भूपेश सरकार के 3 साल के कामकाज पर भरोसा है तो भाजपा को रमन सरकार के 15 साल के कामकाज और मौजूदा सरकार की खामियों से जुडे मुद्दे पर जनता का साथ मिलने का विश्वास है। बड़ा सवाल ये कि वास्तविकता में किस दल के कार्यकर्ता वाकई सक्रिय होकर जनता के बीच हैं और बीजेपी के दोनों प्रभारियों के प्रदेश दौरों से कितना फर्क पड़ता है?

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