नई दिल्ली. कोई ट्रेन-बस (Tarin-Bus) से आ रहा है, तो कोई अपनी कार (Car) से. कुछ तो पहले से ही आकर होटलों (Hotel) में ठहरे हुए हैं. अब बस इंतजार है तो रात के 12 बजने का. जैसे ही 12 बजेंगे वैसे ही पति-पत्नी (Husband-Wife) साथ-साथ तालाब (Pond) जैसे दिखने वाले इस राधाकुंड (Radhakund) में नहाने के लिए उतर जाएंगे. अब जब 12 बजने में बस कुछ ही देर बाकी है तो यूपी (UP) के मथुरा (Mathura) में बने इस कुंड पर भीड़ लगनी शुरू हो गई है.
इसलिए राधाकुंड में हाथ पकड़कर डुबकी लगाते हैं पति-पत्नी
गोवर्धन के निर्भय गोस्वामी ने बताया, 21 अक्टूबर को अहोई अष्टमी है. इसदिन बेटे-बेटी की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखा जाता है. मां इस व्रत को रखती हैं. पूरे दिन न तो खाना खाती हैं और न ही पानी पीती हैं. ऐसी मान्यता है कि अगर अहोई अष्टमी वाले दिन राधाकुंड में पति-पत्नी साथ में रात के वक्त स्नान करेंगे तो उन्हें संतान की प्राप्ति होगी. रात 12 बजे से कुंड में पति-पत्नी साथ में नहाना शुरू कर देते हैं. एक-दूसरे का हाथ पकड़कर डुबकी लगानी होती है. ये कुंड मथुरा के गोवर्धन में है. खास बात ये है कि राधाकुंड पर भारतीय ही नहीं बहुत सारे विदेशी भी आते हैं.
नहाने के बाद जिंदगीभर में नहीं खाते ये फल
गोस्वामी बताते हैं कि इस मान्यता के साथ ये रस्म भी जुड़ी हैं कि जब पति-पत्नी साथ में राधाकुंड में डुबकी लगा लेंगे और मान्यता के अनुसार उन्हें संतान प्राप्ति हो जाती है तो उसके बाद पूरी जिंदगी एक फल नहीं खाएंगे. आखिरी बार इस फल को राधाकुंड में नहाने के दौरान खाया जाता है. ये फल कोई भी हो सकता है. ये उस जोड़े पर निर्भर करता है कि वो कौन सा फल चुनते हैं