जगदलपुर। राज्य में नक्सलवाद के खात्मे के लिए ठोस रणनीति बनाने के मकसद से बुधवार को महत्वपूर्ण बैठक बस्तर और रायपुर में हो रही है। केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला की अध्यक्षता में यह बैठकें आयोजित हो रही हैं। इसके लिए अपने एक दिवसीय दौरे पर बुधवार को केंद्रीय गृह सचिव छत्तीसगढ़ पहुंच हैं। गृह सचिव विशेष विमान से नई दिल्ली से सीधे जगलदपुर पहुंचे हैं। यहां बैठक में उन्होंने बताया कि राज्य में नक्सलवाद के खात्मे के लिए केंद्र बड़े एक्शन प्लान पर काम कर रही है। उन्होंने राज्य के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सात हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती को मंजूरी दी।
इसके साथ ही यह संकेत भी दिए कि जल्द ही राज्य में नक्सलियों के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। इस बैठक में केंद्रीय अधिकारियों के साथ-साथ राज्य के मुख्य सचिव व अन्य उच्च अधिकारी शामिल होंगे और नक्सल उन्मूलन अभियान को सफल बनाने के लिए केंद्र और राज्य की संयुक्त रणनीति पर चर्चा करेंगे।
केंद्रीय गृह सचिव के साथ इस बैठक में केंद्र के आईबी चीफ अरविंद कुमार, सीआरपीएफ के डीजी राजीव राय भटनागर, प्रदेश के मुख्य सचिव सुनील कुजूर, एसीएस होम सीके खेतान, डीजीपी डीएम अवस्थी, डीजीपी नक्सल ऑपरेशन, सीआरपीएफ के कुछ आईजी, डीआईजी, बस्तर संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर और एसपी शामिल हुए हैं। इसके बाद केन्द्रीय गृह सचिव रायपुर आकर यहां मंत्रालय में भी महत्वपूर्ण बैठक लेंगे, जिसमें पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। बैठक के बाद केन्द्रीय गृह सचिव नई दिल्ली रवाना हो जाएंगे।
इस बैठक में नक्सलवाद को लेकर रणनीति और इसके खात्मे के लिए ठोस उपाय, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में समूचित विकास, फोर्स की पर्याप्त संख्या में तैनाती, नक्सलियों के लिए आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति को और बेहतर बनाने, गोरिल्ला वार और नक्सलियों के द्वारा किए गए आइईडी प्लांट व उसके विस्फोट को लेकर बचाव के कारगर उपाय जैसे मुद्दों के अलावा पैरा मिलिट्री फोर्स व राज्य पुलिस के बीच बेहतर तालमेल को लेकर विचार विमर्श किया जा रहा है। बस्तर की बैठक खत्म होने के बाद राजधानी रायपुर में भी बुधवार की शाम एक बैठक होगी। इसके बाद केंद्रीय गृह सचिव दिल्ली रवाना हो जाएंगे।
नक्सलवाद की समस्या से सर्वाधिक प्रभावित छत्तीसगढ़ राज्य को लेकर केंद्र सरकार भी लगातार चिंता जाहिर करती रही है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 2022 तक नक्सलवाद के खात्मे का लक्ष्य तय किया है। इस आंतरिक हिंसावादी समस्या से देश के कई अन्य राज्य भी प्रभावित हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में स्थित कहीं अधिक भयावह है।
नक्सलवाद के उन्मूलन को लेकर केंद्र सरकार आक्रामक स्र्ख रखती है, जबकि राज्य सरकार इसका समाधान बातचीत के जरिए चाहती है। इस तरह केंद्र और राज्य के बीच नक्सल उन्मूलन की नीति में भी थोड़े मतभेद रहे हैं।
ऐसा माना जाता है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तीव्र विकास और रोजगार व शिक्षा का स्तर बढ़ा कर समस्या का समाधान किया जा सकता है, लेकिन इन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में जल-जंगल और जमीन के संरक्षण को लेकर आदिवासी काफी जागरूक हैं। इस वजह से विकास की बड़ी परियोजनाओं का यहां लगातार विरोध भी होता रहा है। आज की इस बैठक में इन्ही विषयों पर मंथन किया जा रहा है।