फर्जी ऋण पुस्तिका बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश, सात आरोपित गिरफ्तार दो फरार

पिथौरा, । राजस्व विभाग का कर्मचारी बताकर किसानों के नाम पर ऋण पुस्तिका बनाकर देने एवं विभिन्न बैंकों से केसीसी लोन दिलाने वाले गिरोह के मास्टर माइंड सहित सात लोगों को पिथौरा पुलिस ने गिरफ्तार किया है। वहीं दो आरोपित फरार हैं। सभी आरोपितों के विरुद्ध भादवि की धारा 420, 467, 468, 471, 120 बी कायम कर न्यायालय में पेश किया गया है। इस मामले का प्रमुख गवाह ग्राम मेमराडीह निवासी अंगिता यादव बनी। अपने को राजस्व विभाग का कर्मचारी बताकर ऋण पुस्तिका बनाकर देने के नाम पर पिथौरा के वासुदेव पारा में निवासरत मामले के मास्टर माइंड उत्तम मजूमदार ने करीब डेढ़ वर्षों पूर्व अप्रैल 2018 में अंगिता यादव से बीस हजार लिया था। डेढ़ वर्षों बाद भी न तो ऋण पुस्तिका मिल पाई और न ही रकम की वापसी हो पाई। लिहाजा उसने पिथौरा थाना पहुंचकर टीआइ कमला पुसाम को लिखित आवेदन देकर अपनी व्यथा बताई तथा रकम की वापसी करा देने का निवेदन किया।

मामले को संज्ञान में लेकर जब उत्तम मजूमदार को थाना बुलाकर रकम वापसी करने कहा गया तो वह तैयार भी हो गया। इसी बीच किसी ने टीआइ पुसाम को जानकारी दी कि उसके पास भारी मात्रा में फर्जी ऋण पुस्तिका, विभिन्न बैंकों के पासबुक सहित तहसीलदार, आरआइ, पटवारी आदि के सील से लेकर अन्य दस्तावेज भरे पड़े हैं। आनन-फानन में पुलिस बल लेकर उत्तम मजूमदार के अस्थाई निवास में दबिश देकर तलाशी ली गई तो वहां पूरा फर्जी कार्यालय संचालित हो रहा था। जहां पर तहसीलदार, आरआइ, पटवारी आदि के सील, भारी तादाद में फर्जी ऋण पुस्तिका, विभिन्न बैंकों के पासबुक के अलावा राजस्व विभाग से संबंधित दस्तावेज भरा पड़ा था। सभी की जब्ती करते हुए उत्तम को हिरासत में लिया गया।

पूछताछ में हुआ पर्दाफाश

उत्तम से पूछताछ में अनेक चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जिसमें इस घटना को अंजाम देने में ग्राम रामपुर निवासी ग्रीसम बीसी, झलप निवासी संजय राव कांटे, मलय कुमार यादव, बेलडीही निवासी सुभाष चक्रधारी, अरंड निवासी दीनबंधु पटेल, पिथौरा निवासी घासीराम प्रजापति के अलावा खरियार रोड निवासी एक व्यक्ति का नाम भी सामने आया।

एसपी के निर्देश पर पिथौरा पुलिस 20 लोगों की तीन टीम बनाकर इन सभी व्यक्तियों के घरों में दबिश देकर छापेमारी की। जहां भारी मात्रा में फर्जी ऋण पुस्तिका के अलावा फर्जी सील दस्तावेज आदि की बरामदग की तथा सील बनाने की मशीन की भी बरामद किया है। सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर पिथौरा थाना लाया गया। वहीं खरियार रोड निवासी एक आरोपित के फरार होने की बात कही जा रही है।

सात साल से चल रहा था फर्जीवाड़े का कारोबार

सभी आरोपितों से की गई पूछताछ में पता चला कि इस फर्जीवाड़े का गोरखधंधा विगत सात वर्षों से चल रहा था। क्षेत्र के ऐसे किसानों से संपर्क किया जाता था जो बैंक से केसीसी लोन लेने के बाद दूसरी बैंक से भी लोन लेना चाहते हों। उनके लिए ऋण पुस्तिका बनाकर देने से लेकर बैंकों का नो ड्यूज एवं बैंकों में केसीसी लोन स्वीकृत कराकर देने तक की गारंटी ली जाती थी। तथा इसके एवज में किसानों से मोटी रकम की वसूली की जाती थी।

मूलतः मालदा पश्चिम बंगाल का रहने वाला उत्तम मजूमदार अपने परिवार के साथ वर्ष 1998 में पिथौरा आया और वर्ष 2012 में राजस्व कार्यालय में पदस्थ एक आरआइ के पास सहायक के रूप में कार्य करने लगा। कुछ दिनों तक काम करने के बाद उसे यह पता चल गया कि किसानों के लिए केसीसी लोन लेने के लिए क्या क्या प्रक्रिया अपनाई जानी आवश्यक है। एक साल काम करने के बाद खुद अपना एक अलग नेटवर्क खड़ा करने लगा, सबसे पहले उसने तहसील कार्यालय में पदस्थ चपरासी घासीराम प्रजापति को साथ लिया, जिसके माध्यम से वह ऋण पुस्तिका प्राप्त करता रहा। दूसरी कड़ी के रूप में उसने ग्राम रामपुर (किशनपुर)निवासी ग्रीसम बीसी को अपने साथ जोड़ कर कार्य करने लगा। ग्रीसम बीसी अपने आसपास के गांव के किसानों की तलाश करता था और उन्हें

अपने जाल में फंसाता था। आस-पास के गांव किशनपुर, लक्ष्मीपुर, जंगल प्लाट, दसवा पारा, गोपालपुर आदि के सैकड़ों किसानों को इसी तरह फंसा कर उन्हें फर्जी दस्तावेजों के सहारे विभिन्न बैंकों से केसीसी लोन दिलाने में सफलता मिलने के बाद हौसला और बढ़ता गया। नेटवर्क को बढ़ाने के लिए अरंड निवासी दीनबंधु पटेल एवं बेलडीह निवासी सुभाष चक्रधारी को भी जोड़कर नेटवर्क फैलाया गया इन क्षेत्रों में भी सैकड़ों किसानों को इसी तरह फर्जी दस्तावेजों के सहारे आसपास के विभिन्न बैंकों से फर्जी लोन दिलाया गया और किसानों से मोटी रकम की वसूली की गई।

झलप में बनता था नो ड्यूज और सील

झलप निवासी मलय कुमार यादव का गणपति प्रिटिंग प्रेस है। जहां पर तहसीलदार, आरआइ, पटवारी से लेकर विभिन्न बैंकों का सील फर्जी तरीके से बनाया जाता था। वहीं संजय कुमार काटे के पास से सभी बैंकों से सील की बरामदगी की गई है। बताया जा रहा है कि इसके इन सीलों का उपयोग एवं हस्ताक्षर कर फर्जी तरीके से बैंकों का नो ड्यूस बनाकर दिया जाता था।

अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर भी

फर्जी ऋण पुस्तिका बनाने के लिए पटवारी से लेकर तहसीलदार तक का हूबहू हस्ताक्षर मास्टर माइंड उत्तम मजूमदार, ग्रिसम बीसी एवं दीनबंधु पटेल ने किया जाता था। तथा प्रति एकड़ पांच हजार रुपये के दर पर किसानों से रकम की वसूली की जाती थी। दस एकड़ का पट्टा बनाने एवं लोन दिलाने के शर्तों पर किसान से पचास हजार रुपये तक की वसूली की जाती थी। इसके साथ यह भी शर्त रहती थी कि उक्त ऋण पुस्तिका सिर्फ के सीसी लोन के लिए है जमीन नही मिलेगी।

पकड़े गए आरोपित में एक टीआइ का भाई भी

आरोपित के रूप में गिरफ्तार रामपुर निवासी ग्रिसम बीसी बिलासपुर क्षेत्र में पदस्थ टीआइ का भाई है। वहीं अरंड निवासी दीनबंधु पटेल शिक्षाकर्मी है। पिथौरा रावण भाटापारा निवासी घासीराम प्रजापति तहसील कार्यालय में चपरासी के रूप में पदस्थ है।

ऑनलाइन से बिगड़ा खेल

राज्य शासन ने भुइयां कार्यक्रम के तहत सभी दस्तावेजो को ऑनलाइन कर दिया गया। जिसके कारण मैनुअल का काम बंद हो गया, जिससे बी वन से लेकर नक्शा खसरा आन लाइन से ही होने लगा। यही वजह है कि फंसने के डर से आरोपी उत्तम मजूमदार प्रार्थिया अंगिता यादव को ऋण पुस्तिका नहीं दे पाया। क्योंकि अब बैंक भी दस्तावेजों की ऑनलाइन जांच करती है। लिहाजा काम रुक गया। और मामला थाना तक जा पहुंचा। बहरहाल पिथौरा क्षेत्र में विगत लंबे अर्से से फर्जी ऋण पुस्तिका बनाए जाने की खबरे आती रही है। जिसका पर्दाफाश अब जाकर हो सका। इस मामले में और भी आरोपियों के शामिल होने के संकेत पिथौरा पुलिस ने दी है। जिसकी जांच पुलिस कर रही है

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