“कालसर्प योग/दोष” के बारे में सम्पूर्ण जानकारी

卐 जय महाकाल 卐

प्रिय पाठकों

आज हम कालसर्प योग के बारे में सम्पूर्ण जानकारी आपको  बतायेंगे ।

मित्रों कालसर्प के बारे में कई भ्रांतियां है, कालसर्प क्या होता है वह कैसे बनता है और उसके जीवन में पड़ने वाले प्रभाव के बारे मे विस्तार से जानेंगे।

कालसर्प क्यों कहा जाता है इसके बारे में मैं आपको बताना चाहूंगा कि राहु और केतु को सर्प और काल की संज्ञा दी गई है और जब इनके बीच में सारे ग्रह आ जाते हैं तो काल व सर्प उन पर अपना प्रभाव, अपना अधिपत्य स्थापित कर लेते हैं जिसके कारण सभी ग्रह अपने शुभ प्रभाव दे पाने में असमर्थ हो जाते हैं, इस कारण इस दोष को कालसर्प दोष कहा जाता है ।

मैं आपको बता दूं कि की पूरी की पूरी कुंडली 360 डिग्री की होती है, वहीं जिस भाव में राहु बैठता है उससे ठीक 180 डिग्री पर केतु स्थित होता है और इनके बीच में जब सारे के सारे सातों ग्रह आ जाते हैं तो राहु और केतु के प्रभाव में आ जाते हैं जिसके कारण यह अपने प्रभावों को खो देते हैं अथवा यह कहा जाए की राहु और केतु इनके प्रभाव पर अपना आधिपत्य जमा लेते हैं इन्हें शुभ फल देने नहीं देते हैं जिसके कारण व्यक्ति को जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है क्योंकि राहु और केतु पापक ग्रह है राहु और केतु के प्रभाव के कारण सभी के सभी सातों ग्रह के प्रभावों में कमी आ जाती है जिसके कारण कालसर्प का निर्माण होता है।

कुंडली में 12 भाव होते हैं इन 12 भाव में राहु केतु की स्थिति के अनुसार कुछ विद्वानों ने 12 प्रकार के कालसर्प दोष को माना है जिसका उनकी स्थिति के अथवा यूं कहें उनकी भाव स्थिति के अनुसार कालसर्प दोष का फल मिलता है किंतु कालसर्प दोष तो जीवन में सदैव संघर्ष एवं कठिनाई उत्पन्न करता है राहु और केतु जिस भाव में भी स्थित हो वह व्यक्ति के जीवन में उस भाव से संबंधित फलों को खराब कर देते हैं।

कई बार ऐसा भी देखा गया है कि राहु और केतु के बाहर अकेला शनि अथवा सूर्य चंद्रमा स्थित होते हैं तो ऐसे समय में भी कुछ विद्वान इसे भी कालसर्प दोष मानते हैं परंतु यह शास्त्रोक्त नहीं है शास्त्रों में वर्णन के अनुसार जब सारे के सारे सभी सातों ग्रह राहु और केतु के बीच में स्थित हो तो ही कालसर्प दोष का निर्माण होता है किसी भी एक ग्रह के बाहर चले जाने से यह दोस्त प्रभावहीन हो जाता है किंतु कुछ विद्वान इसे भी कालसर्प दोष मानते हैं पर यह उचित नहीं है।

ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति के जीवन में कालसर्प दोष होता है वह व्यक्ति जीवन भर संघर्ष करता रहता है उसकी कोई भी डिजायर आसानी से पूरी नहीं होती, उसे हर चीज, जीवन में संघर्ष से ही प्राप्त होती हैं, कालसर्प दोष के कारण कई बार ऐसा भी देखा गया है कि व्यक्ति को सफलता मिलते मिलते रह जाती है।

आइए अब जानते हैं की कालसर्प दोष से कैसे बचा जाए जब भी व्यक्ति के जीवन में उसकी कुंडली में कालसर्प दोष का प्रभाव हो तो ऐसे व्यक्ति को उज्जैन अथवा नासिक में कालसर्प दोष का निवारण कराना चाहिए पूजा पाठ के द्वारा कालसर्प दोष के प्रभाव में कमी आती है ऐसे व्यक्ति को प्रत्येक वर्ष नागपंचमी के दिन चांदी के नाग नागिन का जोड़ा बनाकर शिवलिंग में पूजा पाठ के साथ विधि विधान से अर्पण करने से कालसर्प दोष में कमी आती है तथा ठीक इसके लगभग 6 महीने के बाद नाग नागिन का जोड़ा चांदी का निर्मित जल प्रवाह करने से भी इस दोष को कम करता है राहु देव के जाप पूजा अनुष्ठान के द्वारा भी इस दोष को कम किया जा सकता है।

मित्रों कुछ विद्वानों के द्वारा ऐसा कहा जाता है की कालसर्प दोष की पूजा कराने से उसके दोष समाप्त हो जाते हैं किंतु मैं आपको यह बात बता देना चाहता हूं की कालसर्प दोष जीवन में कभी भी किसी भी स्थिति में, पूजा पाठ विधि विधान से पूर्णता समाप्त नहीं होता है मात्र केवल मात्र इसके दोष में कमी आती है, कालसर्प दोष का प्रभाव संपूर्ण जीवन बना रहता है अतः ऐसा मानकर कि यह दोष खत्म हो गया है किसी भी प्रकार की गलतफहमी में ना रहे।

कालसर्प दोष के उपाय आपको जीवन पर्यंत करते रहना चाहिए तभी आप इसके प्रभाव से बचे रह सकते हैं।

कुंडली का गहन अध्ययन कर हम यह पता कर सकते है की, जातक को कुछ विशेष ग्रह स्थितियो मे रत्नो के उपयोग या ग्रहो की शान्ती उपाय द्वारा लाभ लिया जा सकता है। आप नीचे लिखे मेरे नंबर पर संपर्क कर समस्त जानकारी मुझसे प्राप्त कर सकते है।

धन्यवाद

Astro Raju chhabra (devendre singh)

“”Kundli specialist””  Falit jyotish

Mb – 07747066452 , 7000029286

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *