छत्तीसगढ़ का मजबूत बजट है इसके विकास का आधार

रायपुर । अलग राज्य बनने के 20 वर्षों में ही छत्तीसगढ़ देश के नक्शे पर तेजी से विकसित राज्य के रूप में उभरा है। राज्य के विकास का प्रमाण राज्य का बजट है जो साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है। राज्य के बजट का सफर सात हजार करोड़ से शुरू हुआ था जो अब एक लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। 20 वर्षों में छत्तीसगढ़ ने देश में जेंडर और कृषि बजट की शुरूआत की।

बजट का आकार बढ़ने के बावजूद छत्तीसगढ़ का नाम देश की चुनिंदा बेहतर वित्तीय स्थिति वाले राज्यों में शामिल है। बजट के बढ़ते आकार के साथ राज्य के विकास को भी रफ्तार मिली है। इस दौरान राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़ा है, इसके बावजूद वित्तीय स्थिति बेहतर है। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में ब्याज भुगतान की राशि कुल जीएसडीपी का 1.1 फीसद है, जबकि अन्य राज्यों का औसत ब्याज भुगतान 1.7 फीसद है। यह ब्याज भुगतान प्रतिशत देश में न्यूनतम है।

एक ही अनुपूरक के बाद एक लाख करोड़ पार

चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 का बजट एक लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। सरकार ने 95 हजार 899 करोड़ 45 लाख रुपये का पहला बजट पेश किया था। इसके बाद 4341 करोड़ 52 लाख 31 हजार 510 रुपये का पहला अनुपूरक पेश किया गया। बजट का कुल आकार अब बढ़कर एक लाख 241 करोड़ रुपये हो गया है।

ऐसे बढ़ रहा बजट का आकार

वित्तीय वर्ष बजट अनुपूरक

2001-02 7294 —

2002-03 8471 एक

2003-04 9978 दो

2004-05 10555 दो

2005-06 11242 तीन

2006-07 13185 तीन

2007-08 16473 तीन

2008-09 19392 दो

2009-10 23482 दो

2010-11 26099 तीन

2011-12 32477 तीन

2012-13 39677 तीन

2013-14 44169 तीन

2014-15 54710 तीन

2015-16 65013 तीन

2016-17 76032 तीन

2017-18 88599 चार

2018-19 150170 तीन

फैक्ट फाइल

– राज्य बना तब आबादी दो करोड़ थी, पहला बजट सात हजार करोड़ का था।

– आज आबादी ढ़ाई करोड़ है और बजट एक लाख करोड़ पार हो गया है।

– राज्य बनने से लेकर अब तक 18 बजट पेश किए गए हैं।

– शुरुआती तीन बजट कांग्रेस सरकार ने पेश किया था।

राज्य का पहला बजट तत्कालीन वित्त मंत्री रामचंद्र सिंहदेव ने विधानसभा में प्रस्तुत किया था।

– भाजपा सरकार का पहला बजट बतौर वित्त मंत्री अमर अग्रवाल ने प्रस्तुत किया था।

– सिंहदेव के बाद अमर भी तीन ही बजट पेश कर पाए।

– डॉ. रमन सिंह ने 2007 में बतौर वित्त मंत्री पहला बजट पेश किया था।

– भूपेश बघेल ने बतौर वित्त मंत्री वर्ष 2018-19 के लिए अनुपूरक बजट पेश किया था।

भूपेश चालू वित्त वर्ष के लिए एक मुख्य व एक अनुपूरक बजट पेश कर चुके हैं।

अब तक के वित्त मंत्री

डॉ. रामचंद्र सिंहदेव

कोरिया राजघराने से तालुक रखने वाले स्व.डॉ. रामचंद्र सिंहदेव राज्य के पहले वित्त मंत्री थे। 1967 में पहली बार चुनाव जीतने वाले सिंहदेव इससे पहले अविभाजित मध्यप्रदेश में भी मंत्री रह चुके थे। सिंहदेव को अर्थ का बेहतर जानकार माना जाता था। राज्य के शुरुआत तीन बजट उन्होंने ही पेश किए थे। मितव्ययता और

जाते हैं।

अमर अग्रवाल

भाजपा 2003 में पहली बार प्रदेश की सत्ता आई। बिलासपुर से लगातार दूसरी बार चुनाव जीत कर पहुंचे कामर्स ग्रेजुएट अमर अग्रवाल को वित्त विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। प्रदेश के दूसरे वित्त मंत्री अग्रवाल को भी केवल तीन बार बजट पेश करने का मौका मिला। पहले वित्त मंत्री की तरह अग्रवाल भी हाथ टाइट ही रखते थे। 2006 में इन्होंने वित्त मंत्री की कुर्सी छोड़ दी।

डॉ. रमन सिंह

अमर अग्रवाल के मंत्री पद छोड़ने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने खुद वित्त विभाग की कमान संभाल ली। 2007 में उन्होंने अपना पहला बजट पेश किया। इसके बाद से वे लगातार वित्त विभाग की कमान संभाले रहे। डॉ. सिंह ने कुल 12 बजट पेश किए। वित्तीय वर्ष 2018-19 में उन्होंने मुख्य बजट के साथ दो अनुपूरक बजट पेश किया था।

भूपेश बघेल

राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री बने भूपेश बघेल ने वित्त विभाग की कमान अपने पास ही रखी है। बतौर वित्त मंत्री उन्होंने पहली बार सदन 2018-19 के लिए अनुपूरक बजट पेश किया। इसके बाद उन्होंने 2019-20 का मुख्य बजट और एक अनुपूरक बजट पेश किया है।

वित्तीय स्थिति मजबूत

इस वर्ष अप्रैल से जून के दौरान केंद्रीय अनुदान की राशि में कमी के बावजूद राज्य को सभी स्रोतों से 16 हजार 346 करोड़ की आय प्राप्त हुई। अगस्त 2018 में आरबीआइ से जारी प्रतिवेदन के अनुसार छत्तीसगढ़ में कुल जीएसडीपी की 17.9 फीसद राशि विकासमूलक कार्यों पर व्यय की गई है, जबकि अन्य सभी राज्यों का औसत व्यय 11.9 फीसद है।

इसी प्रकार सामाजिक क्षेत्र में राज्य में कुल जीएसडीपी की 11.5 फीसद राशि व्यय की गई है, जबकि अन्य सभी राज्यों का सामाजिक क्षेत्र में औसत व्यय 7.8 फीसद है। राज्य का कुल ऋण भार जीएसडीपी का 17.4 फीसद है जबकि अन्य राज्यों का औसत ऋणभार 24.3 फीसद है। यह ऋण भार देश में न्यूनतम है।

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