रायपुर। छत्तीसगढ़ के निलंबित आइपीएस मुकेश गुप्ता को एक नए मामले में कोर्ट के माध्यम से घेरने की तैयारी शुरू हो गई है। ईओडब्ल्यू के एडीजी रहने के दौरान गुप्ता के निर्देश पर सिंचाई विभाग के ईई आलोक अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। इस छापे में नौ करोड़ स्र्पये नगद जब्त किया गया था। इसमें अपराध क्रमांक 56/2014 की एफआइआर की कॉपी फाडने के मामले में ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू की थी। सुप्रीम कोर्ट से गुप्ता के खिलाफ जांच पर रोक लगाने के बाद अब हाई कोर्ट के माध्यम से घेरने की तैयारी शुरू हो गई है।
उच्च प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो गुप्ता की शिकायत पूर्व भाजपा नेता ने ईओडब्ल्यू में की थी। इसमें यह आरोप लगाया था कि आलोक अग्रवाल के खिलाफ दर्ज एफआइआर की कापी को गुप्ता के निर्देश पर फाड़ दिया गया। इसको लेकर प्राथमिकी जांच क्रमांक 18/2019 दर्ज करके गोपनीय तरीके से जांच की जा रही है।
इसकी जांच के बाद अब शिकायतकर्ता हाई कोर्ट के माध्यम से गुप्ता के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि आलोक अग्रवाल के मामले में गुप्ता ने मैनुअल की जगह आनलाइन एफआइआर कराई है।
सूत्रों की मानें तो आनलाइन एफआइआर को कई बार अपडेट किया गया है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि अलोक अग्रवाल को बचाने के उद्देश्य से इस तरह की गड़बड़ी की गई है। ईओडब्ल्यू के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो आलोक अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई से पहले कोर्ट से सर्च वारंट लिया गया, उसके अगले दिन छापे की कार्रवाई की गई।
नान मामले की तरह फोन टेपिंग का मामला
आलोक अग्रवाल के मामले में भी नान मामले की तरह ही फोन टेपिंग को लेकर एफआइआर की गई थी। इसकी विवेचना वर्तमान ईओडब्ल्यू चीफ की ओर से कराई जा रही है।
बताया जा रहा है कि मैनुअल एफआइआर फाड़ने के साक्ष्य नहीं मिलने के बाद अब आनलाइन में अपडेट को आधार बनाकर कोर्ट में रीट दायर करने तैयारी है, ताकि गुप्ता के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का आदेश मिल सके। इस मामले में निलंबित आइपीएस रजनेश सिंह, अशोक जोशी और संजय देवस्थले का नाम भी है। यह अधिकारी गुप्ता के कार्यकाल में ईओडब्ल्यू-एसीबी में पदस्थ थे