Chhattisgarh राज्य गठन के बाद बिजली विभाग की तरक्की

रायपुर। छत्तीसगढ़ में विद्युत विकास के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किए गए हैं। राष्ट्रीय स्तर पर विद्युत विकास के मामलें में छत्तीसगढ़ ने लम्बी छलांग दर्ज की है। राज्य की स्थापना के समय प्रति उपभोक्ता विद्युत खपत 300 केडब्लूएच थी जो वर्तमान में 1724 केडब्लूएच हो गई है। विद्युत खपत में 474.67 प्रतिशत की वृद्घि हुई है। चेयरमेन शैलेन्द्र शुक्ला ने बताया कि छत्तीसगढ़ देश का एक अकेला ऐसा राज्य है, जो कि देश की स्थापित क्षमता में 12 से 13 प्रतिशत योगदान देता है। राज्य स्थापना के समय छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी की क्षमता 1360 मेगावॉट थी, जो बढ़कर 3424.70 मेगावॉट हो गई है, अर्थात 2064.70 मेगावॉट की वृद्घि की गई।

38 हजार मजरा टोला में बिजली पहुंचाने में मिली कामयाबी

राज्य स्थापना के समय करीब 73 हजार विद्युतीकृत पम्पों की संख्या थी जो कि बढ़कर लगभग साढ़े चार लाख तक जा पहुंची है। प्रदेश के किसान ऊर्जाकृत पम्पों से बारहों महीना फसल लेने सक्षम बन गए हैं । प्रदेश के सभी 19567 गांव विद्युतीकृत हो गए हैं। साथ ही सुदूर ग्रामीण अंचलों के लगभग 38 हजार मजरा-टोलों तक बिजली पहुंचाने में कामयाबी मिली है।

राज्य गठन के दौरान इतनी थी क्षमता

प्रदेश की ट्रांसमिशन क्षमता 8169 एमवीए तक पहुंच गई है, जबकि राज्य गठन के समय यह 1257 एमवीए थी। अर्थात 549.88 प्रतिशत की वृद्घि की गई है। राज्य स्थापना के समय मात्र 27 अति उच्चदाब उपकेन्द्र थे जो आज 120 अति उच्चदाब उपकेन्द्र क्रियाशील किये गये है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां सरप्लस बिजली उत्पादन होता है। मप्र से विभाजन के बाद ज्यादातर पॉवर प्लांट छत्तीसगढ़ के हिस्से में आ गए थे।

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