नई दिल्ली। भारत में मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी गैर-संचारी बीमारियां (एनसीडी) तेजी से फैल रही हैं। एक सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि गैर-संचारी रोग देश के कुल रोग भार में संचारी रोगों पर भारी पड़ रहे हैं। गैर-संचारी रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। लाइफ स्टाइल बीमारियों के नाम से पहचानी जाने वाली ये जानलेवा बीमारियां देश के लोगों पर तेजी से हमला कर रही हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक यह देखा गया है कि विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (डीएएलवाई) का उपयोग करके मापा गया संचारी, मातृ, नवजात और पोषण संबंधी रोगों के कारण रोग का बोझ 1990 और 2016 के बीच 61 फीसद से गिरकर 33 फीसद पर आ गया है। इसी अवधि के दौरान गैर-संचारी रोग के चलते रोग का बोझ 30 फीसद से बढ़कर 55 फीसद हो गया।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल 2019 के मुताबिक, एक जनवरी से 31 दिसंबर, 2018 तक राष्ट्रीय कैंसर, मधुमेह, हृदयरोग और स्ट्रोक रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम के तहत एनसीडी क्लीनिकों में 6.51 करोड़ रोगियों की जांच की गई।
10 हजार से ज्यादा लोगों पर एक डॉक्टर
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 10,926 लोगों पर सिर्फ एक एलोपैथिक डॉक्टर है। जबकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सुझाव के मुताबिक एक हजार लोगों पर एक डॉक्टर होना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017 और 2018 के लिए मान्यता प्राप्त चिकित्सा योग्यता (एमसीआइ एक्ट के तहत) वाले पंजीकृत एलोपैथिक चिकित्सकों और राज्य चिकित्सा परिषदों में पंजीकृत एलोपैथिक चिकित्सकों की संख्या क्रमशः 43,581 और 41,371 थी। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि दंत चिकित्सक के मामले में हालात में सुधार हुआ है।