मनोविज्ञानी और विशेषज्ञ इस बात के लिए खास चेतावनी दे रहे हैं कि डिजिटल दुनिया पर निर्भरता की अति को खत्म करें। इस दुनिया को यदि खुद पर हावी होने से रोका नहीं गया तो परिणाम बहुत कम उम्र में गंभीर बीमारियों के तौर पर सामने आएंगे। आजकल बच्चों और युवाओं में चिड़चिड़ाहट, गुस्सा, एकग्रता में कमी जैसे कई लक्षण विभिन्ना ऑनलाइन गेम्स और अन्य हिंसक कार्यक्रमों के कारण दिखाई देना आम हैं। इसके अलावा देर रात तक लैपटॉप और मोबाइल का प्रयोग करने वाले पुरुषों और महिलाओं के भी व्यवहार और कामकाज की क्षमता पर बुरा असर पड़ता दिखाई दे रहा है।
लक्षणों पर गौर करें
यदि आपको लगातार सिरदर्द, बैचेनी, सर में भारीपन, आंखों में तकलीफ, पेट में समस्या, चिड़चिड़ाहट, थकान आदि जैसे लक्षण दिखाई देते हैं तो एक बार इस बात पर गौर करें कि आप कितना समयडिजिटल दुनिया को दे रहे हैं। घर के बच्चों और युवाओं पर ध्यान दें यदि वे अपना ज्यादा समय कम्प्यूटर या लैपटॉप या मोबाइल पर बिता रहे हैं, अकेले रह रहे हैं या उनके व्यवहार में कोई परिवर्तन आ रहा है, तो तुरंत सतर्क हो जाएं।
बीमारियों का अंदेशा
डिजिटल दुनिया पर अतिआत्मनिर्भरता का बुरा असर न केवल किसी व्यक्ति की नींद और खान-पान पर पड़ता है, बल्कि इसकी वजह से स्ट्रेस, एंग्जायटी, तनाव जैसी कई समस्याएं घेर लेती हैं। कई मामलों में यह गंभीर लत या एडिक्शन में बदल जाता है और आगे जाकर खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचाने को भी उकसा सकता है।
कुल मिलाकर तकनीक पर अति निर्भर रहने की आदत आखिरकार आपके दिमाग पर कब्जा कर लेती है और उसको नियंत्रित करने लगती है। यहां नियंत्रण से तात्पर्य है डोपामीन जैसे महत्वपूर्ण रसायनों का असंतुलन पैदा करने लगना, जो सामान्य स्थितियों में शरीर को फायदा दे सकते हैं।