गरियाबंद। बीते दो दिनों से ग्राम खरहरी में दशहत फैला रहे घायल तेंदुए ने वन विभाग के पकड़ में आने के कुछ घंटे बाद ही दम तोड़ दिया। बताया जाता है कि शनिवार सुबह ही तेंदुए को पकड़ने में वन विभाग ने सफलता हासिल की थी। घायल तेंदुए को इलाज के लिए रायपुर ले जाया जा रहा था इसी दौरान उसकी मौत हो गई। वनमंडलाधिकारी मयंक अग्रवाल ने बताया कि तेंदुआ दो दिनों से घायल था।
इसके साथ ही वह कई दिनों भूखा भी था जिसके चलते उसका शरीर काफी कमजोर हो गया था। पानी की कमी के कारण डिहाइड्रेशन भी हो गया था। उन्होंने बताया कि रायपुर से आए विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा उसे बचाने का पूरा प्रयास किया गया, इलाज के लिए रायपुर भी ले जाया जा रहा था परंतु रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।
डीएफओ ने बताया कि विशेषज्ञ टीम जब तेंदुए को लेकर नंदनवन पहुंची तो वाल्ड लाइफ के विशेषज्ञों ने भी उसकी जांच की और उसके मौत होने की पुष्टि की है। इसके बाद तेंदुए के शव का पोस्ट मार्टम कर अंतिम संस्कार कर दिया गया।
डीएफओ अग्रवाल ने बताया कि पोस्टमार्टम से ज्ञात हुआ कि तेंदुए के पिछले पैर के जांघ की हड्डी टूट चुकी थी। कई दिनों से तेंदुए भूखा था। अधिक जानकारी के लिए तेंदुए के शरीर के अंग का भाग बिसरा फारेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया है। रिपोर्ट आने के बाद भी आगे की जानकारी मिलेगी।
तीन दिनों से दहशत में थे ग्रामीण
ज्ञात हो कि बीते दो तीन दिनों से ग्राम खरहरी और आसपास के जंगल में यह तेंदुआ जमा हुआ था। इसके चलते गांव में दशहत का माहौल था। तेंदुए ने बछड़े का शिकार भी किया था जिसे ले जाने के लिए वह गांव तक आ गया था। इसी दौरान गीताबाई नामक महिला की बाड़ी में जा पहुंचा और ग्रामीणों ने उसे घेर लिया।
कुछ देर में ही वन अमला भी वहां पहुंच गया जिसके चलते तेंदुए वहां से भाग भी नहीं सका। इस दौरान तेंदुए घायल तो था ही कई दिनों तक भूखा प्यासा भी रहा जिससे वह कमजोर हो गया। वन अमले ने पूरा ध्यान तेंदुए को पकड़ने में लगा दिया।
शनिवार सुबह जब तेंदुआ बाहर आया तो रायपुर से आई विशेषज्ञ टीम द्वारा ट्राइकुलाइजरकर उसे बिहोश किया गया। बिहोश होने के बाद प्राथमिक उपचार कर उसे पिंजरे में कैद कर गरियाबंद लाए। गंभीर स्थिति को देखते हुए रायपुर नंदनवन भेजा गया परंतु वहां पहुंचने के पहले ही उसकी मौत हो गई।