जशपुरनगर। बहुत जल्द जशपुर जिले में कॉफी उत्पादन होने से छत्तीसगढ़ राज्य को कॉफी उत्पादक का दर्जा मिलने की संभावना जाहिर की जा रही है। जिले में कॉफी उत्पादन की संभावना तलाशने आई कॉफी बोर्ड आफ इंडिया की टीम ने प्रारंभिक सर्वेक्षण में यहां की जलवायु को कॉफी उत्पादन के लिए अनुकूल पाया है। सोगड़ा में कॉफी उत्पादन के प्रयोग की सफलता के बाद वन विभाग ने कॉफी बोर्ड आफ इंडिया को पत्र लिखकर संभावना तलाशने का अनुरोध किया था। इसके बाद बुधवार को एआर बोरा डिप्टी डायरेक्टर नर्सी पटनम, एके राउत, उपेंद्र साहा जशपुर पहुंचे थे। इस टीम ने जशपुर और बगीचा तहसील के पंड्रापाठ क्षेत्र का दौरा कर, मिट्टी सहित भौगोलिक परिस्थितियों का परीक्षण किया। साथ ही स्थानीय अधिकारियों से यहां की बारिश और तापमान संबंधी रिकॉर्ड की जानकारी लेकर अध्ययन किया।
सर्वेक्षण के बाद एआर बोरा ने नईदुनिया से खास बातचीत में बताया कि जशपुर जिले की जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियां कॉफी उत्पादन के लिए बेहद उपयुक्त है। यहां किस वेरायटी के कॉफी का उत्पादन किया जा सकता है, इसका चयन करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट लागू किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के लिए बगीचा तहसील के पंड्रापाठ और जशपुर का चयन किया गया है। जल्द ही इसके लिए कार्रवाई शुरू की जाएगी। कॉफी बोर्ड आफ इंडिया द्वारा पायलट प्रोजेक्ट लागू करने के निर्णय के साथ ही छत्तीसगढ़ ने कॉफी उत्पादन की दिशा में एक बड़ा कदम उठा लिया है।
सरगुजा जिला में संभावना तलाशने की है तैयारी
जशपुर के साथ छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में भी कॉफी उत्पादन की संभावना तलाशने के लिए बोर्ड की सर्वे टीम नवम्बर के अंत में यहां पहुंचेगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरगुजा के मैनपाट और सामरीपाट को कॉफी उत्पादन के लिए उपयुक्त स्थल माना जा रहा है। जशपुर के सर्वे के प्रारंभिक रिपोर्ट के उत्साहजनक परिणाम को देखते हुए वन विभाग के आला अधिकारी भी इसे लेकर आशान्वित नजर आ रहे हैं। अधिकारियों का मानना है चाय बागान की सफलता के बाद कॉफी उत्पादन से इन दोनों जिले में कृषि और पर्यटन क्षेत्र के विकास का दरवाजा खुल सकता है।