Ayodhya Verdict 2019 Live Update : देश के सबसे पुराने और बहुप्रतिक्षित कोर्ट केस अयोध्या राम जन्मभूमि – बाबरी मस्जिद विवाद केस में फैसला आ गया है और इसके बाद अब विवादित रही जमीन पर रामलला विराजमान ही रहेंगे और यह फैसला हिंदुओं के पक्ष में आया है। वहीं दूसरी तरफ सर्वोच्च न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष को अलग से मस्जिद के लिए जमीन देने की निर्देश दिए हैं। आज पांच जजों की संवैधानिक पीठ इस मामले में एतिहासिक फैसला सुनाया है। इस बेंच ने लगातार 40 दिन की मैराथन सुनवाई के बाद बीती 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। शुक्रवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) की और से इस बारे में जानकारी दी गई थी। उसके बाद से देश में हलचल बढ़ गई थी। सभी राज्यों में पुलिस अलर्ट पर है और सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त कर लिए गए हैं। खासतौर पर उत्तर प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी गई है। अयोध्या में धारा 144 लागू कर दी गई है। उप्र में स्कूल-कॉलेज सोमवार तक के लिए बंद किए गए हैं, वहीं मध्यप्रदेश व दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में शनिवार को स्कूलों में अवकाश घोषित किया गया है।
पढ़िए लाइव अपडेट्स –
– सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार 3 महीने में मंदिर निर्माण के नियम बनाए। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष के तरफ फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन रामलला को दे दी है। इसका मतलब है कि विवादित जमीन का मालिकाना हक रामलला विराजमान के पास ही है।
– CJI ने संविधान की बात करते हुए कहा कि हिंदू बाहर की तरफ हमेसा पूजा करते रहे लेकिन मुस्लिम अंदर की तरफ अपना दावा साबित नहीं कर पाए हैं। मामले के दूसरे पक्ष सुन्नी वफ्फ बोर्ड को वैकल्पिक जमीन देना जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में हमें दोनों पक्षों में संतुलन बनाना होगा। इसमें दो पक्ष रामलला विराजमान और सुन्नी वफ्फ बोर्ड है। इससे पहले हाईकोर्ट ने जमीन को तीन हिस्सों में बांटा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट तीसरे पक्ष निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज कर दिया है।
– कोर्ट ने माना है कि यात्रियों के वृत्तांत और पुरातत्वविदों के सबूत हिंदुओं के पक्ष में हैं।
– कोर्ट के इस ऑब्जर्वेशन के अनुसार गुंबद के नीचे हिंदू 1856-57 से पहले हिंदू पूजा करते थे और उसके बाद अंग्रेजों द्वारा रोके जाने पर चबूतरे पर पूजा करने लगे जबकि मुस्लिमों द्वारा 1856-57 से पहले वहां नमाज पढ़ने के सबूत नहीं मिले हैं और अंग्रेजों द्वारा हिंदुओं को रोके जाने के बाद गुंबद के नीचे नामज पढ़ने लगे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि 1934 के दंगों के बाद से ही मुस्लिम पक्ष का वहां पर कब्जा नहीं रहा। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी बेहद अहम है।
कोर्ट फिलहाल मामले में अपना ऑब्जर्वेशन दे रहा है और चीफ जस्टिस ने कहा है कि अंदरूनी हिस्से में मुस्लिमों की नमाज खत्म होने का सबूत नहीं मिला है। वहीं अंग्रेजो ने रेलिंग बनाई थी। हिंदू 1856-57 से पहले हिंदू अंदर पूजा करते थे लेकिन अंग्रेजों द्वारा रोकने पर बाहर चबूतरे की पूजा करने लगे।
– इस सब के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य मुद्दे को सामने रखा है कि इस सब से यह साबित नहीं होता कि इस पर हक किसका है यह आस्था से साबित नहीं होता। अब तक जो भी कहा गया है वो अंतिम फैसला नहीं है। विवादित ढांचे के नीचे संरचना होने से यह दावा नहीं मान सकते कि वहां राम मंदिर था। कोर्ट ने कहा कि 1856-57 तक में इस बात का जिक्र नहीं मिलता की वहां नमाज पढ़ी जा रही थी।