अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट 40 दिनों की लगातार सुनवाई के बाद आखिरकार शनिवार को अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से विवादित जमीन को रामलला विराजमान की बताया।
साथ ही मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन देने का आदेश दिया है। इस सबके बीच एक सवाल यह भी है कि क्या सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पूरी तरह से अंतिम है। इसके आगे क्या होगा, फैसला आने के बाद मामले के पक्षकारों के पास और क्या विकल्प होंगे।
बता दें कि अदालत ने अपने फैसले में केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि विवादित भूमि पर मंदिर के निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाएं। इसके लिए तीन महीने के भीतर नियम बनाने होंगे। कोर्ट के 1045 पेज के फैसले में पुरातत्व विभाग द्वारा विवादित जमीन पर किए गए सर्वे की रिपोर्ट ने अहम भूमिका निभाई है।
फैसला सुनाने वाली पीठ में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के अलावा न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायाधीश अशोक भूषण, न्यायाधीश डीवाय चंद्रचूड़ और न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर शामिल रहे। पीठ ने मामले की सुनवाई छह अगस्त से शुरू की थी। इसके बाद 16 सितंबर को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बहरहाल, फैसले से पहले उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी। अयोध्या को छावनी में तब्दील कर दिया गया। केंद्र सरकार पहले ही वहां अपनी ओर से सशस्त्र पुलिस बल के चार हजार जवानों समेत अन्य सुरक्षा बलों को भेज चुकी है।