मुंबई। जिस कांग्रेस और एनसीपी के भरोसे शिवसेना ने भाजपा से नाता तोड़ा, उन्हीं ने शिवसेना को करारा झटका देते हुए अधर में लटका दिया है। भारी सियासी गहमागहमी के बीच महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो जाने के बाद कांग्रेस और एनसीपी नेताओं के बीच शिवसेना को समर्थन के मुद्दे पर हुई बैठक बेनतीजा रही। इस बैठक में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, अहमद पटेल के बीच यह रजामंदी हुई की पहले अपने गठबंधन के भीतर सारी बातें तय की जाएंगी। उसके बाद शिवसेना को लेकर कोई फैसला किया जाएगा। बैठक के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में शरद पवार और अहमद पटेल दोनों ने ही यह साफ कर दिया कि शिवसेना को समर्थन देने या उसके साथ सरकार बनाने के मामले में अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।
शिवसेना को समर्थन दिए जाने के सवालों को टालते हुए वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अहमद पटेल अधिकांश समय राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी को कोसते रहे। उन्होंने इस बात पर आपत्ति प्रकट की कि राज्यपाल ने भाजपा शिवसेना और एनसीपी को तो न्योता दिया लेकिन कांग्रेस को कोई न्योता नहीं दिया गया। अहमद पटेल ने कहा कि राज्यपाल ने लोकतंत्र का मजाक बनाकर रख दिया और उन्होंने मनमानी की है। पटेल ने कहा कि हम महाराष्ट्र में दोबारा चुनाव नहीं चाहते। लेकिन अभी सरकार गठन के मामले में कोई फैसला नहीं लिया है। बल्कि कांग्रेस और एनसीपी इस मामले में सभी मुद्दों पर आपस में बातचीत करेगी उसके बाद सरकार गठन के मामले में कोई निर्णय लिया जाएगा।
एनसीपी के मुखिया और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार ने भी शिवसेना के साथ गठबंधन सरकार के मामले में अभी किसी तरह का कोई फैसला नहीं लिए जाने का खुलासा किया।
जिस कांग्रेस और एनसीपी के भरोसे शिवसेना ने भाजपा से नाता तोड़ा, उन्हीं ने शिवसेना को करारा झटका देते हुए अधर में लटका दिया
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