President rule in Maharashtra: महाराष्ट्र में सरकार बनाने की सारी कवायद नाकाम होने के बाद राष्ट्रपति शासन लगाया दिया गया है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पहले सबसे बड़ी पार्टी भाजपा, फिर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना और फिर तीसरी सबसे बड़ी पार्टी राकांपा को सरकार बनाने का न्योता दिया, लेकिन तीनों नाकाम रहे। भाजपा ने अपनी तरफ से इन्कार कर दिया था, वहीं शिवसेना राज्यपाल से मिली जरूरी, लेकिन राकांपा और कांग्रेस के समर्थन वाले पत्र प्रस्तुत नहीं कर सही, वहीं राकांपा को मंगलवार रात 8.30 बजे का समय दिया था, लेकिन इससे पहले ही केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति शासन लगाने को मंजूदी दे दी। सवाल यही है कि अब महाराष्ट्र में आगे क्या होगा?
संविधान विशेषज्ञ बताते हैं कि सभी दलों के बीच सरकार बनाने का विकल्प अभी भी मौजूद है। यदि कोई गठबंधन राज्यपाल से मिलता और समर्थन की चिट्ठी पेश करता है तो उसके नेता को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने और विधानसभा में बहुमत साबित करने का मौका मिलेगा। यही कारण है कि राकांपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच बैठकों का दौर जारी है। वहीं. शिवसेना ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। तब तक विधानसभा निलंबित रहेगी और पूरा सरकारी कामकाज राजभवन से होगा।
तो महाराष्ट्र में फिर होंगे चुनाव
यदि कोई दल सरकार बनाने का दावा लेकर आगे नहीं आता है तो प्रदेश में फिर से चुनाव कराए जा सकते हैं।बता दें, महाराष्ट्र में बीती 21 अक्टूबर को मतदान हुआ था और 24 अक्टूबर को नतीजे घोषित हुए थे। कुल 288 विधानसभा सीटों में से भाजपा को सबसे ज्यादा 105 सीटें मिली थीं, जबकि उसके साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने की वाली शिवसेना को 56 सीट मिली थीं। शरद पवार की पार्टी राकांपा 54 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर रही थी, वहीं कांग्रेस को 44 सीटों से संतोष करना पड़ा था