Maharashtra Govt Formation Live: राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भी महाराष्ट्र में सियासी घमासान जारी है। राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना के बीच सरकार बनाने की कवायद जारी है, लेकिन इस बीच बड़ी खबर यह है कि बुधवार शाम 7.30 बजे होने वाली राकांपा-कांग्रेस की बैठक रद्द हो गई है। इसी बैठक में शिवसेना को समर्थन देने या नहीं देने पर मंथन होना था। इसे सरकार बनाने की कवायदों को एक झटके के रूप में देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि शिवसेना को साथ लेने पर राकांपा और कांग्रेस, दोनों एकराय नहीं बना पा रहे हैं।
इस बीच, महाराष्ट्र के सियासी घमासान पर भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पहली बार बयान दिया। अमित शाह ने दो टूक कहा है कि शिवसेना की नई मांगें भाजपा को मंजूर नहीं है। हमने किसी के भी साथ विश्वासघात नहीं किया। हमारे संस्कार ऐसे नहीं हैं कि बंद कमरे में हुई बातों को सार्वजनिक करें। उनका इशारा शिवसेना द्वारा बार-बार किए जा रहे सरकार में 50:50 की साझेदारी और ढाई-ढाई साल के सीएम के भाजपा के वादे के दावे की ओर था। शाह ने साफ कहा कि महाराष्ट्र में अब भी जिसके पास संख्या (बहुमत) हो वो सरकार बना सकता है।
बार-बार कहा था फडणवीस ही होंगे मुख्यमंत्री
शाह ने कहा-मैंने और पीएम नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान सभाओं में बार-बार कहा था कि गठबंधन को बहुमत मिला तो देवेंद्र फडणवीस ही दोबारा मुख्यमंत्री बनेंगे। तब किसी ने इस बात का विरोध नहीं किया।
राज्यपाल ने संविधान का उल्लंघन नहीं किया
शाह ने कहा कि महाराष्ट्र केराज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने संविधान का उल्लंघन नहीं किया। नौ नवंबर को विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो चुका था। इसके बाद उन्होंने सभी को बारी-बारी से सरकार बनाने का न्योता दिया। भाजपा समेत कोई भी दल सरकार नहीं बना सका। चुनाव के नतीजे घोषित हुए भी 18 दिन बीत चुके थे। इस दौरान भी किसी ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया। मंगलवार को राकांपा को रात 8.30 बजे तक का वक्त दिया गया था, लेकिन उसने भी सुबह 11.30 से 12 बजे के बीच ही सरकार बनाने में असमर्थता जता दी थी। ऐसे में राष्ट्रपति शासन के लिए किसी तरह की जल्दबाजी किए जाने का सवाल ही नहीं है।
शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि जिस किसी के पास संख्या हो वह राज्यपाल के पास जाकर अब भी सरकार बनाने का दावा पेश कर सकता है और सरकार बना सकता है। गृह मंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगने से नुकसान विपक्ष को नहीं बल्कि भाजपा को हुआ है।