मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने शनिवार को देशभर की अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित पड़े मामलों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे का संस्थान को नीचा दिखाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सीजेआई गोगोई रविवार को अपने पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में उनका शुक्रवार को अंतिम कार्यदिवस था।
हाईकोर्ट के जजों और न्यायिक अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए सीजेआई गोगोई ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर हमें हमेशा से लंबित मामलों को लेकर चुनौती दी गई। लंबित शब्द धृष्टता से अधिक और कुछ नहीं है। इसका इस्तेमाल संस्थान पर हमले और इसे नीचा दिखाने के लिए किया जाता है।
उन्होंने कहा कि इन हाउस स्टडी से खुलासा हुआ है कि करीब 48 फीसदी कथित लंबित मामले आपराधिक केस हैं जोकि आरोपियों की पेश या पेश किए जाने के चलते लटके रहते हैं। इसी तरह से करीब 23 फीसदी सिविल मामले पार्टियों की पेशी के चलते लंबित पड़े रहते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि संस्थान ने हमेशा से जितना संभव है, उससे ज्यादा देने का प्रयास किया है।
सीजेआई ने कहा कि आज हम सभी को नई चुनौतियों से निपटने की आवश्यकता है जोकि दुर्भाग्य से हमारे कोर्ट परिसर के अंदर और बाहर से उत्पन्न हो रही हैं। हमारे कोर्ट परिसरों के अंदर सबसे बड़ी चुनौती अनुशासन और शिष्टाचार को लेकर बढ़ती उदासीनता है।