संसद सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक, पीएम मोदी भी पहुंचे, नागरिकता संशोधन बिल पर मचेगा संग्राम

संसद के शीतकालीन सत्र से पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई। बैठक में कई दलों के नेता मौजूद रहे। बैठक में सत्र के सुचारू संचालन का खाका तैयार किया गया। सरकार को अंदेशा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक जैसे विवादास्पद बिलों पर हंगामा हो सकता है। इस सत्र में 22 नए बिल पेश करने और उसे पास कराने की योजना है।

विपक्षी दलों ने मांगा ज्यादा समय

संसद के शीतकालीन सत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की मंशा रखते हुए विपक्षी दलों ने इस बार मुद्दों पर बहस के लिए अधिक समय देने की मांग रख दी है। सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों ने स्पष्ट कहा कि 17वीं लोकसभा का पहला सत्र सरकार के विधायी एजेंडों के नाम रहा, इसलिए दूसरे सत्र में जनता से संबंधित जरूरी सवालों को उठाने के लिए इस बार विपक्षी दलों के लिए ज्यादा समय तय किया जाना चाहिए।

बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी भी शामिल हुए। इसके अलावा सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस की ओर से अधीर रंजन चौधरी, अपना दल की अनुप्रिया पटेल, लोजपा से चिराग पासवान, पिनाकी मिश्रा, एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत कई विपक्षी दलोंं के नेता पहुंचे।

इस बैठक के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि आज विभिन्न दलों के नेताओं और सांसदों से शानदार वार्तालाप रहा।

राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू ने भी बुलाई बैठक

राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू ने रविवार को उच्च सदन के सांसदों की बैठक बुलाई है। रविवार को या सोमवार सुबह सत्र शुरू होने के पहले पीएम मोदी एनडीए की बैठक बुलाएंगे। इस बैठक में महाराष्ट्र में सरकार गठन पर अलग हो चुकी शिवसेना शामिल नहीं होगी। पिछले सत्र के आखिरी दिनों में जम्मू-कश्मीर को बांटने और अनुच्छेद 370 खत्म करने संबंधी बिल पास करने के बाद इस बार सरकार विवादास्पद नागरिकता संशोधन बिल को आगे बढ़ाएगी। इस सत्र में राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट  के फैसले और जम्मू-कश्मीर के हालात पर लंबी चर्चा होगी।

18 नवंबर से संसद सत्र 

बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र 18 नवंबर से शुरू हो रहा है  जो 13 दिसंबर तक चलेगा। सरकार ने नागरिकता संशोधन विधेयक को पिछले सत्र में भी पेश किया था। इस विधेयक में पड़ोसी देशों से गैर मुसलिम शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है। विपक्ष ने इसे धर्म ने नाम पर भेदभाव वाला विधेयक बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया था।

अब यह विधेयक निष्प्रभावी हो गया है। अब शिवसेना भी इसके विरोध में खड़ी हो सकती है। इसके अलावा सरकार असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनसीआर) में नहीं शामिल हुए हिंदुओं को इसमें शामिल करने के लिए भी अलग से बिल ला सकती है। इसके साथ इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड बिल और निजी डेटा प्रोटेक्शन बिल को पास कराने केलिए सरकार ने विपक्ष से सहयोग मांगा है।

 

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