शीतकालीन सत्र में नागरिकता संशोधन बिल पर होगी शिवसेना की पहली अग्नि परीक्षा

  • जदयू की नाराजगी, शिवसेना की विदाई के बाद भी राज्यसभा में बहुमत के करीब है राजग
  • एनसीपी और कांग्रेस समेत विपक्षी दल पहले से ही इस बिल का विरोध करते आ रहे हैं
  • बिल का समर्थन करे या विरोध, इन दोनों ही हालात में असहज स्थिति में होगी शिवसेना
  • सहयोगियों की नाराजगी के बावजूद बहुमत के करीब है भाजपा, केवल सात सीट हैं कम
एनडीए का साथ छोड़ने वाली शिवसेना को शीतकालीन सत्र में हिंदुत्व के मुद्दे पर पहली अग्नि परीक्षा देनी होगी। महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने में जुटी शिवसेना की पहली अग्नि परीक्षा नागरिकता संशोधन बिल पर होगी। इस बिल का एनसीपी और कांग्रेस समेत विपक्षी दल पहले से विरोध करते आ रहे हैं। ऐसे में बिल के समर्थन और विरोध, दोनों ही स्थिति में शिवसेना को असहज स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
राज्यसभा में संख्या बल के लिहाज से भाजपा अपने कुछ सहयोगियों की नाराजगी के बावजूद बहुमत के करीब है। जदयू (6), असम गण परिषद सहित पूर्वोत्तर के कुछ दल बिल के विरोध में हैं तो तीन सांसदों वाली शिवसेना एनडीए से दूर हो गई है। इसके बावजूद वर्तमान में 238 सदस्यीय उच्च सदन में भाजपा ने मनोनीत और निर्दलीय सांसदों को साध कर बिल के समर्थन में 113 सांसदों को जोड़ लिया है।

यह संख्या बहुमत से महज सात कम है। पार्टी के पास इस कमी को पूरा करने के लिए बीजद (7), टीआरएस (6), वाईएसआर कांग्रेस (2) को साधने, जदयू को तीन तलाक बिल की तरह वाकआउट के लिए मनाने जैसे कई विकल्प हैं। ऐसे में इस बिल को अब तक पारित कराने में नाकाम रही भाजपा इस बार आरामदायक स्थिति में है।

बिल ने सरकार के समक्ष करो या मरो की स्थिति पैदा कर दी है। असम में एनआरसी लागू होने के बाद लाखों की संख्या में हिंदू राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में नाम दर्ज कराने से चूक गए हैं। इनकी नागरिकता बचाने के लिए सरकार के पास नागरिकता संशोधन बिल को कानूनी जामा पहनाने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। सरकार को असम की तर्ज पर दूसरे राज्यों में भी चरणबद्ध तरीके से एनआरसी लागू कराना है।

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