महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के अहमदनगर में एक खेत में खुले बोरवेल में गिरे पांच साल के बच्चे की मंगलवार सुबह मौत हो गई। मासूम को बचाने के लिए एनडीआरएफ (NDRF) ने हर संभव प्रयास किए, लगातार ऑपरेशन चलाए जाने के बाद भी बच्चे की जिंदगी को नहीं बचाया जा सका। एनडीआरएफ ने सोमवार शाम को बचाव अभियान शुरू किया था।
बोरवेल में गिरे सागर की मौत
स्थानीय पुलिस के अनुसार, सागर का परिवार मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले से अस्थायी रूप से अहमदनगर चला गया था। परिवार एक गन्ना काटने वाले ठेकेदार के यहां काम करता था। सोमवार शाम 4 बजे के आसपास सागर बोरवेल में गिर गया। ऐसा अनुमान लगाया गया कि हो सकता है कि खेलते समय वह बंद पड़े बोरवेल में गिर गया हो, जिसके बाद वह करीब 15 फीट की गहराई में फंस गया था। एक अधिकारी ने कहा कि ऑपरेशन को अब बंद कर दिया गया है, क्योंकि लड़के का निधन हो गया है। बोरवेल लगभग 200 फीट गहरा है। ऑपरेशन के दौरान घटनास्थल पर एक एंबुलेंस और अन्य चिकित्सा सहायता तैयार रखी गई, लेकिन सागर को सकुशल नहीं निकाला जा सका।
हापुड़ में कड़ी मशक्कत के बाद बचाई थी एक जिंदगी
इसी तरह जनवरी में उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक बोरवेल में गिरे चार साल के बच्चे को बचाया गया था। यहां भी बच्चा बोरवेल के पास खेल रहा था, तभी वह अंदर गिर गया। एनडीआरएफ ने इस बचाव अभियान का भी नेतृत्व किया था, जो करीब चार घंटे तक चला था। सूचना मिलते ही टीम मौके पर पहुंची और बच्चे को बचाने के लिए ऑपरेशन शुरू किया। जिला मजिस्ट्रेट मेधा रूपम ने समाचार एजेंसी पीटीआई के हवाले से कहा, 'बोरवेल के अंदर ऑक्सीजन और भोजन भेजा गया था।'
दिसंबर में मध्य प्रदेश के बैतूल से सामने आया था ऐसा ही मामला
दिसंबर में मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के मंडावी गांव में 55 फीट गहरे बोरवेल में गिरकर आठ साल के एक बच्चे की मौत हो गई थी। उसे बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन भी शुरू किया गया और उसे ऑक्सीजन भी पहुंचाई गई। थाना प्रभारी अनिल सोनी ने बताया कि तन्मय दियावर नाम का बालक खेत में खेल रहा था, तभी वह हाल ही में खोदे गये बोरवेल में गिर गया। उन्होंने बताया था कि इलाके की खुदाई के लिए अर्थमूविंग मशीन मंगाई गई थी और लड़के को ऑक्सीजन मुहैया कराने की व्यवस्था की गई थी।
इसी तरह जून में 11 वर्षीय राहुल साहू छत्तीसगढ़ के पिहरीद गांव में 80 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया था, लेकिन 110 घंटे से अधिक समय के बाद उसे बचा लिया गया था। बड़े पैमाने पर बचाव अभियान में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), सेना और स्थानीय पुलिस के अधिकारियों सहित लगभग 500 कर्मचारी शामिल थे।