14 सालोे से बंद पड़े 26 स्कूलों को शुरू करने में प्रशासन हुआ सफल।

बीजापुर-बीजापुर जिले के अतिसंवेदनशील एवं मुख्य धारा से कटे हुये गांवों को शिक्षा के माध्यम से जोड़ने की पहल जिला प्रशासन ने शुरू की है। इस पहल के फलस्वरूप बीजापुर,
भोपालपटनम,भैरमगढ़ व उसूर में 26 स्कूल ग्रामीणों के सहयोग  से प्रारंभ किये गये है। इन स्कूलों मे सैकड़ों बच्चों को दाखिला देकर शिक्षा देते हुये उनके भविष्य संवारने के प्रयास स्थानीय बेरोजगार युवको के माध्यम से प्रारंभ किये गये है।

2005 में सलवा-जुड़ूम अभियान के दौरान आतंक और भय से जिले के 300 से ज्यादा स्कूल बंद हो गये थे जिसके चलते यह ईलाका पूरी तरह से मुख्य धारा से कट कर शासन प्रशासन की योजनाओ से वंचित हो गया था। वर्तमान सरकार की पहल से इन ईलाको मे बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की मुहिम जिला प्रशासन द्वारा चलाई गई जिसके तहत् अतिसंवेदनशील ईलाको में ग्रामीणों का साथ लेकर शालाओं को पुर्नजीवित किया गया है।
विकासखण्ड बीजापुर के 05 भैरमगढ़ 05 उसूर 06 एवं भोपालपटनम के 10 स्कूल कुल 26 बंद स्कूलों को पुनः संचालित किया गया है। ये ईलाके अत्यंत दुर्गम पहुंचविहीन एवं नक्सल प्रभावित है जहां इस कार्य को सफल बनाना जोखिम भरा व चुनौतीपूर्ण रहा है। बीजापुर के पदमूर,काकेकोरमा,गोरना,भोपालपटनम के केरपे,सेन्ड्रा, व भैरमगढ़ के मदपाल व हल्लूर गांव अतिसंवेदनशील व दुर्गम ईलाके है जहां बेहद चुनौती पूर्ण माहौल में शालाओं का संचालन प्रारंभ किया गया है। इन स्कूलों में स्लेट, कापी पुस्तक, टाटपट्टी व मध्यान्ह भोजन की सुविधा दी गई है। स्कूलों के संचालन से पहले ग्रामीणों से चर्चा कर शिक्षा का लाभ बताते हुये सहमति लेकर बच्चों का सर्वे किया गया तथा स्थानीय बेरोजगार युवकों को अध्यापन हेतु प्रस्ताव लेकर स्कुल संचालन की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। इस कार्य में कलेक्टर द्वारा जिला न्यास निधि से बेरोजगार युवकों को शिक्षा-दूत के रूप में अवसर देते हुये मानदेय की व्यवस्था तथा स्कूल हेतु अस्थायी शेड की व्यवस्था की गई है।

इन स्कूलों के संचालन से दूरस्थ अंचल के ग्रामीणों में शासन प्रशासन के प्रति विश्वास बढ़ने लगा है तथा अन्य गांव के ग्रामीण भी प्रशासन से स्कूल की मांग करने लगे है।

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