गुजरात
भाजपा कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत का पताका फहराने के लिए नया चुनावी मॉडल लेकर आई है। सत्ताधारी दल का राज्य विशेष के हिसाब अलग तरह की राजनीति और मतदान के तरीकों को समझने पर जोर है। बीजेपी की ओर से हिंदी हार्टलैंड और गुजरात में चुनाव के दौरान जिन फॉमूलों को अपनाया गया, इस बार उनमें बदलाव देखने को मिलेगा। भगवा दल के सामने इस दक्षिणी राज्य में सत्ता को बचाए रखने की चुनौती है। माना जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से इस बार भाजपा को कड़ी टक्कर मिल सकती है। ऐसे में बीजेपी कुछ ज्यादा ही सतर्क हो गई है। मालूम हो कि यहां इस साल मई में असेंबली इलेक्शन होने हैं।
सूत्रों के हवाले से बताया कि कर्नाटक में भाजपा की ओर से नया फॉर्मूला अपनाने की बात की जा रही है। पार्टी इस बार अपने मौजूदा विधायकों के टिकट काटने से परहेज करने वाली है। इसकी वजह यह है कि ज्यादातर नेताओं का अपना-अपना मजबूत वोट बैंक हैं। अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में उनके पास समर्थकों का बड़ा ग्रुप है। यहां इस बात का कोई लेना-देना नहीं है कि मौजूदा MLA किस पार्टी के हैं। इससे पहले यह देखा गया है कि बीजेपी ने अपने कई मौजूदा विधायकों के टिकट काटे हैं। पार्टी की ओर से नए चेहरों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है। साथ ही एंटी-इनकंबेंसी से बचने के लिए मंत्रियों की नई टीम भी बनाई जाती रही है।
पुराने फॉर्मूले को लागू करने में क्या दिक्कत
रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा नहीं है कि कर्नाटक में बीजेपी के इस पुराने फॉर्मले को लागू करने की मांग नहीं उठी। राज्य के कई नेताओं ने यह गुहार लगाई कि नए लोगों को टिकट दिया जाए। उनकी ओर से यह भी कहा गया कि विधायकों के रिश्तेदारों को भी टिकट नहीं मिलना चाहिए। मगर, पार्टी आलाकमान का मानना है कि कर्नाटक में राजनीतिक हालत कुछ अलग हैं। यहां गुजरात वाले फॉर्मूले को लागू करना ठीक नहीं होगा। सूत्रों ने बताया कि राज्य में 120 ऐसी सीटें हैं जहां नेताओं ने अपने बलबूते पर चुनाव जीता। ऐसे में अगर उन्हें टिकट देने से मना कर दिया गया तो वे पार्टी बदलने में जरा सी भी देरी नहीं करेंगे और भाजपा ऐसा बिलकुल भी नहीं चाहेगी।
गुजरात-हिमाचल में टिकट काटने पर हुआ विद्रोह
इसके बावजूद, सत्ताधारी दल की ओर से 224 विधानसभा सीटों वाले राज्य में 6-7 विधायकों का टिकट कट सकता है। भाजपा के सीनियर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा खुद यह बयान दे चुके हैं। इनमें से कुछ ऐसे हैं जिनकी उम्र 75 साल के आसपास है और कुछ लोगों की सेहत साथ नहीं दे रही है। ऐसे नेताओं को बीजेपी टिकट देने से इनकार कर सकती है। हालांकि, इन नेताओं के प्रभाव वाली सीटों पर किसे टिकट मिलेगा, इस फैसले में उनकी राय अहम होगी। ध्यान रहे कि भाजपा के गुजरात वाले चुनावी फॉर्मूले के कुछ गंभीर नतीजे सामने आए थे। भगवा दल ने हाल के विधानसभा चुनावों से पहले गुजरात में 42 और हिमाचल प्रदेश में 11 मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया था। ऐसे में पार्टी को दोनों राज्यों में विद्रोह का सामना करना पड़ा।
दूसरे दलों से आने वाले नेताओं का क्या होगा
चुनावों से पहले दूसरे दलों को छोड़कर भाजपा में शामिल वाले विधायकों को लेकर भी रणनीति बनाई जा रही है। कांग्रेस और एचडी कुमारस्वामी की जनता दल सेक्युलर से आने वाले नेताओं पर विशेष जोर होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे नेताओं को भी उनकी मौजूदा सीट से भगवा दल टिकट देगा। भाजपा सत्ता में वापसी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही राज्य के नेताओं की व्यक्तिगत पकड़ पर निर्भर है। इस इलेक्शन में प्रमुख रणनीतिकार अभी भी पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ही होने वाले हैं। येदियुरप्पा अबकी बार खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं मगर परदे के पीछे से अहम भूमिका निभाएंगे। उनके छोटे बेटे बीवाई विजयेंद्र उनकी सीट शिकारीपुरा से चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, वंशवादी राजनीति के आरोपों को खारिज करने के लिए भाजपा अब तक विजयेंद्र को टिकट या पार्टी का पद देने को तैयार नहीं दिखी है।