रायपुर। शिक्षा के अधिकार अधिनियम (Right to Education) के तहत गरीबों के बच्चों को मुफ्त पढ़ाने(Free Education) का दावा कर रहा शिक्षा विभाग सभी बच्चों को पढ़ाने में नाकाम साबित हुआ है। नईदुनिया ने पड़ताल की तो पाया कि छत्तीसगढ़(Chhattisgarh) में पिछले सालों के भीतर 40 निजी स्कूल बंद(Private School) हो गए हैं। इन स्कूलों में पढ़ने वाले आरटीई(RTE) के हजारों बच्चों की मुफ्त की पढ़ाई भी छिन गई है। ये बच्चे अब कहां पढ़ रहे हैं, इसका जवाब अफसरों के पास नहीं है। अफसरों का कहना है कि आरटीई के तहत बच्चों को किसी दूसरे स्कूल में स्थानांतरित करने का कोई नियम नहीं है। ऐसे में गरीबों के बच्चों की पढ़ाई कहां हो रही है। इसका रिकार्ड भी जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) कार्यालय में नहीं है।अकेले रायपुर में ही 24 निजी स्कूल बंद हो चुके हैं। यहां आरटीई के तहत दाखिला लेने वाले बच्चों का कोई रिकार्ड नहीं है।
रायपुर समेत धमतरी, कोरिया, सक्ती, बिलासपुर, कांकेर, बेमेतरा, बलौदा बाजार आदि जिलों में पिछले सालों में जो भी स्कूल बंद हुए हैं, उनकी खबर डीईओ नहीं ली। इनमें अकेले रायपुर में 24 स्कूल बंद हो गए हैं। सैकड़ों बच्चे आरटीई की पढ़ाई से वंचित हो गए हैं और रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी को इसकी कोई खबर तक नहीं है। बताया जाता है कि जब आरटीई पोर्टल के तहत बच्चों की सूचना लोक शिक्षण संचालनालय के अफसरों ने मांगी तो इसका खुलासा हुआ है।
आठवीं तक नहीं पहुंच पाए 68 फीसद तक बच्चे
सबसे चौंकाने वाले आंकड़े यह है कि साल 2011-12 में पहली कक्षा में 22 हजार बच्चों ने दाखिला लिया था, इनमें से आठवीं तक सिर्फ सात हजार ही बच्चे पहुंच पाए। बाकी 15 हजार बच्चे ड्रापआउट (स्कूल से बाहर) हो गए। इनमें भी राज्य सरकार ने कक्षा नौवीं से 12वीं तक आरटीई तक मुफ्त में आगे भी पढ़ाने का निर्णय लिया था। इसके बाद कक्षा नौवीं में भी महज 4,500 बच्चे ही दाखिल हो पाए। सात हजार बच्चों में 4500 बच्चों का कक्षा नौवीं में दाखिल होने के बाद अफसरों के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है।
एजुकेशनल पोर्टल में भी नहीं हो पा रही एंट्री
स्कूल शिक्षा विभाग ने एजुकेशनल पोर्टल बनाया है। इसी के आधार पर स्कूलों को आरटीई की फीस भी देनी है। प्रदेश में छह से अधिक स्कूल हैं। इनमें 1,700 स्कूलों का अभी तक कोई एंट्री तक नहीं हो पाई है। रायपुर में 40 फीसद बच्चों की अभी तक पोर्टल में एंट्री नहीं हो पाई। रायपुर में 250 से ज्यादा स्कूलों की ऑनलाइन एंट्री नहीं होने से सिस्टम को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।
जो स्कूल बंद होते हैं, उनके बच्चों का आरटीई के तहत स्थानांतरण करने का कोई आदेश या नियम नहीं है। जो स्कूल बंद हो गए हैं, उनके बच्चे आरटीई के तहत नहीं पढ़ पाएंगे। – जीआर चंद्राकर, डीईओ, रायपुर