मुंबई: अपने अभिनय के दम पर थिएटर और कई फिल्मों में लोगों का दिल जीतने वाले वेटरन एक्टर श्रीराम लागू का मंगलवार रात निधन हो गया। श्रीराम लागू ने पुणे के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। श्रीराम लागू 92 साल के थे। बताया गया कि एक्टर लागू लंबे समय से बीमार थे और उनका उपचार एक निजी अस्पताल में चल रहा था। बता दें श्रीराम लागू ने कई हिन्दी, मारठी सहित अन्य भाषाओं की फिल्मों में काम किया था। उनकी शोक की खबर सुनकर पूरे फिल्म जगत में शोक की लहर फैल गई।
गौरतलब है कि श्रीराम लागू ने अपने कॅरियर में 100 से ज्यादा हिंदी और 40 से ज्यादा मराठी फिल्मों में काम किया। उन्होंने अपने करियर में फ़िल्मों के अलावा 20 मराठी नाटकों का निर्देशन भी किया। उन्होंने अपने कॅरियर की शुरूआज एक थिएटर आर्टिस्ट के तौर पर की थी। ज्ञात हो कि श्रीराम लागू एक एक्टर के साथ ही ईएनटी सर्जन भी थे। बताया जाता है कि श्रीराम लागू को अभियन का शौक मेडिकल की पढ़ाई के दौरान ही लग गया था।
लागू ने ‘आहट: एक अजीब कहानी’, ‘पिंजरा’, ‘मेरे साथ चल’, ‘सामना’, ‘दौलत’ जैसी कई फिल्मों में नजर आए। वहीं नट सम्राट नाटक में उन्होंने अप्पासाहेब बेलवलकर की भूमिका निभाई थी, जिसे मराठी थिएटर के लिए मील का पत्थर माना जाता है। इस नाटक में अपने शानदार अभिनय के बाद उन्हें नट सम्राट कहा जाने लगा। अभिनेता नसरुद्दीन शाह ने एक बार कहा था कि श्रीराम लागू की आत्मकथा ‘लमाण’ किसी भी एक्टर के लिए बाइबल की तरह है।
978 में घरौंदा फ़िल्म के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के लिए फ़िल्मफेयर अवॉर्ड प्रदान किया गया था। 1997 में उन्हें कालीदास सम्मान से नवाज़ा गया था। 2006 में डॉ लागू को सिनेमा में योगदान के लिए मास्टर दीनानाथ मंगेशकर स्मृति प्रतिष्ठान ने सम्मानित किया था। वहीं, 2010 में उन्हें संगीत नाटक एकेडमी फेलोशिप से सम्मानित किया गया था। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ श्रीराम लागू ने लमान शीर्षक से आत्मकथा भी लिखी।
ऋषि कपूर ने डॉ श्रीराम लागू के निधन पर श्रद्धांजलि समर्पित की है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि श्रद्धांजलि, सबसे सहज कलाकारों में शामिल डॉ श्रीराम लागू हमें छोड़कर चले गये। उन्होंने कई फ़िल्में कीं। दुर्भाग्यवश पिछले 25-30 सालों में उनके साथ काम करने का मौका कभी नहीं मिला। वो पुणे में रिटायर्ड जीवन बिता रहे थे। डॉ साहब आपको बहुत प्यार
वयोवृद्ध अभिनेता डॉ श्रीरामलगू सर के निधन की खबर सुनकर दु:ख हुआ। वे महान समाजवादी और बहुमुखी अभिनेता थे, उनके योगदान को हमेशा थिएटर और फिल्मों में उनकी यादगार भूमिकाओं के लिए याद किया जाएगा। ओमशांति।