चुनाव परिणाम तय करेगा कांग्रेस-भाजपा के बागियों का भविष्य

रायपुर। Chhattisgarh Urban Body Election 2019 नगरीय निकाय चुनाव में बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों का भविष्य चुनाव परिणाम तय करेगा। कांग्रेस और भाजपा की साफ रणनीति है, जहां उन्हें समर्थन की आवश्‍यकता होगी, केवल वहीं के बागियों के लिए पार्टी का दरवाजा खुला रहेगा। इसका कारण यह है कि दोनों दलों को अपना महापौर या अध्यक्ष बनाने के लिए परिषद में बहुमत साबित करना होगा। अगर, पार्टी प्रत्याशियों की संख्या कम हो जाती है, तो बागियों को साथ में रखने की मजबूरी होगी। जहां आवश्‍यकता नहीं होगी, वहां बागियों को निर्दलीय पार्षद की कुर्सी पर ही बैठना होगा। इसके लिए कांग्रेस ने तो पहले ही रणनीति बना ली थी, जबकि भाजपा ने मतदान के दूसरे दिन रविवार को रणनीति पर बात की।

कांग्रेस ने बागियों को चेताया, लेकिन नहीं दिखाया है बाहर का रास्ता

नामांकन वापस लेने की तिथि के बाद तक कांग्रेस अपने बागियों को बैठाने की कोशिश करती रही। प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम की तरफ से दो बार छह साल के निष्कासन की चेतावनी जारी की गई, लेकिन एक को भी बाहर का नहीं किया गया। कांग्रेस ने बागियों के लिए दबाव की रणनीति पहले ही बना ली थी। निष्कासन की चेतावनी के बाद पार्टी के ज्यादातर बागियों ने अपना नाम वापस ले लिया था या फिर कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार करने लगे। पार्टी के आला-नेताओं का दावा है कि नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस के बागियों की संख्या काफी कम रही, जो निर्दलीय चुनाव लड़े। संगठन के प्रभारी प्रदेश महामंत्री गिरिश देवांगन का कहना है कि पार्टी ने किसी भी बागी को निष्कासित नहीं किया है। संगठन में उनकी सदस्यता अभी बनी हुई है। मतलब, साफ है कि कांग्रेस की नजर चुनाव परिणाम पर है। जिन निकायों की परिषद में कांग्रेस के पार्षद बहुमत में होंगे, वहां बागियों के लिए पार्टी का दरवाजा बंद हो सकता है। आवश्‍यकता के हिसाब से कांग्रेस में बागियों की सदस्यता कायम रहेगी।

भाजपा कोर कमेटी का फैसला, आवश्‍यकता पड़ने पर बागियों की होगी वापसी

भाजपा के प्रदेश कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में रविवार को कोर कमेटी की बैठक हुई। इसमें नगरीय निकाय चुनाव के प्रभारी अमर अग्रवाल ने नगर निगम क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत कम होने पर चिंता जताई। इसके बाद आला-नेताओं ने पार्टी के बागी प्रत्याशियों पर चर्चा की।

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने कहा कि पार्टी लाइन के आधार पर बगावत करने वाले पार्टी के नेताओं का निष्कासन किया गया है। प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव का नियम बदल गया है, इसलिए बागियों की वापसी भी करनी पड़ सकती है।

पूर्व मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि चुनाव परिणाम आने के बाद यह देखना होगा कि किस वार्ड में भाजपा के प्रत्याशी हारे और पार्टी से बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी जीते हैं। बागियों की वापसी से परिषद में महापौर या अध्यक्ष बनाने का मौका मिलता है, तो यह काम करना ही होगा। बैठक में राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री सौदान सिंह, राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सदस्य सरोज पांडेय, नेताप्रतिपक्ष रमलाल कौशिक, पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णुदेव साय उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *