राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ सहित यूपी, महाराष्ट्र के दिव्यांग युवक शुक्रवार को शहर की सड़कों में दूल्हा बनकर निकले तो शहर के विभिन्न् समाजिक संस्थानों के लोग उनके स्वागत में थिरकने से नहीं चूके। पटाखों की शोर और बैंड की धुन में बड़े उत्साह से बाबा रामदेव मंदिर से 11 दिव्यांग दूल्हों की बरात निकली। जो धूम-धाम के साथ उदयाचल पहुंची। जहां हाथ में मेंहदी लगाए दिव्यांग युवतियां अपने दुल्हन का श्रृंगार कर अपनी बरात का इंतजार कर रही थी। बरात में शामिल होने शहर के पुरुष वर्ग के साथ महिलाऐं भी पहुंची। फिर बंध गए 11 जोड़े सात जन्मों के बंधन में। बाबा रामदेव समिति और दृष्टिबाधित विकास संघ के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को उदयाचल परिसर में 11 दिव्यांग जोड़ों का विवाह हुआ।
शादी इस मायने में और भी खास तब हो गई जब दृष्टी बाधित दूल्हे की अगुवाई अस्थि बाधित दुल्हन करने लगे। इनमें एक जोड़ा ऐसा भी था जिसमें दोनो दूल्हा-दुल्हन अस्थिबाधित ही थे। जयमाला बैठकर पहनाते हुए सात जन्मों तक साथ रहने की कसम खाई। दिव्यांगों के विवाह में महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश से भी दुल्हा, दुल्हन पहुचे थे। जबलपुर (मध्यप्रदेश) के बच्चूलाल नामदेव ने राजनांदगांव की चित्रा वर्मा के साथ विवाह किया। बच्चू जबलपुर के मेडिकल हायर सेकेन्ड्री स्कूल में अध्यापक हैं।
बच्चू ने अंग्रेजी, हिन्दी के साथ इतिहास में भी एमए किया है। एमएड करने के बाद बच्चू अध्यापक बने हैं। उनकी सैलरी 40 हजार से ज्यादा है। संपन्न् परिवार से होने के बाद भी उन्होंने सामूहिक विवाह को बढावा देने यहां शादी करने पहुंचे थे। नईदुनिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि राजनांदगांव जैसे लोग कहीं नही हैं। अनजान लोगों की शादी भी ये लोग बड़ी धूमधाम से कर रहे हैं। पूरे देश को यह सीखना चाहिए।
मिले उपहार : शादी के बाद सोनी, राधा कृष्ण, रामदेव बाबा, माहेश्वरी, श्याम, राणी सती जीण माता महिला मंडल के साथ अग्रवाल समाज, नर नारायण सेवा समिति सहित अन्य संगठनों ने नव विवाहित जोड़ों को कई उपहार दिए। सोने के मंगलसूत्र से लेकर कूलर, मिक्सर, बर्तन के साथ करीब 20 हजार के कैश भी सभी जोड़ों को दिए गए। समिति के मनीष खंडेलवाल ने बताया कि शादी में उन्हें समाज के सभी संगठनों का भरपूर सहयोग मिला है।