रायपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने वोकल फॉर लोकल का स्लोगन दिया है. साथ ही आत्मनिर्भरता की बात कही है. वहीं छतीसगढ़ (Chhattisgarh) की महतरियों ने पहले ही इसे कर दिखाया है. कोविड 19 की जंग में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका सैनिटाइजर और मास्क की होती है. जब राज्य के साथ पूरे देश में मास्क और सैनिटाइजर की किल्लत मची थी. ऐसे में राज्य की महिलाओं ने इसकी पूर्ति का बीड़ा उठाया. आज राज्य में स्थिति यह है कि उनकी मेहनत की हर ओर तारीफ हो रही है.
कोविड-19 से जंग में स्वसहायता समूहों की महिलाएं यहां बड़े पैमाने पर मास्क और senetijar बनाने के काम में लगी हुई हैं. अपने कार्यों से ये महिलाएं जहां कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने कीमती संसाधन मुहैया करा रही हैं, वहीं राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौर में अपने परिवार का आर्थिक संबल भी बनी हैं. मास्क और सैनिटाइजर बनाने के साथ ही वे ग्रामीणों को कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के तरीकों और सही ढंग से हाथ धोने के बारे में भी जानकारी दे रही हैं.
महिलाएं ऐसे कर रहीं मदद
प्रदेश के 27 जिलों में 2162 स्वसहायता समूहों की 7595 महिलाएं मास्क बनाने का काम कर रही हैं. इन महिलाओं ने अब तक 38 लाख 14 हजार मास्क बनाए हैं. इनमें से 35 लाख 20 हजार मास्क की बिक्री भी हो गई है. इन महिलाओं द्वारा बेचे गए मास्क की कुल कीमत चार करोड़ 42 लाख 18 हजार रुपए है. स्वास्थ्य एवं नगरीय प्रशासन सहित विभिन्न विभागों और स्थानीय बाजारों में स्वसहायता समूहों से निर्मित मास्क की आपूर्ति की जा रही है. समूहों द्वारा गुणवत्ता के हिसाब से प्रति मास्क 10 रुपए से लेकर 20 रुपए तक की दर पर आपूर्ति की जा रही है.
प्रदेश के 13 जिलों में स्वसहायता समूहों की महिलाएं sainetijar भी बना रही हैं. स्वास्थ्य विभाग, बायो-टेक लैब, कृषि विकास केंद्र और राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (NMDC) के तकनीकी सहयोग से विभिन्न समूहों द्वारा 6928 लीटर सैनिटाइजर का उत्पादन किया जा चुका है. इनमें से 5107 लीटर सैनिटाइदर ग्राम पंचायतों, जनपद पंचायतों, नगर निगमों, स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय बाजारों में बेची जा चुकी हैं जिसकी कुल कीमत 24 लाख 79 हजार रुपए है. सेनिटाइजर बनाने के काम में 43 स्वसहायता समूहों की 230 महिलाएं लगी हुई हैं. इनके द्वारा उत्पादित सैनिटाइजर की कीमत 500 रुपए प्रति लीटर है.
बाजार में मास्क और सेनिटाइजर की कमी देखकर स्वसहायता समूह की महिलाएं इसके उत्पादन के लिए प्रेरित हुईं. मास्क और सैनिटाइजर बनाने के दौरान महिलाएं साफ-सफाई के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन कर रही हैं. मास्क सिलाई के दौरान वे दो सिलाई मशीनों के बीच पर्याप्त दूरी बनाकर काम कर रही हैं. ये महिलाएं बच्चों का खास ध्यान रखते हुए उनके उपयोग के लिए छोटे साइज का मास्क भी बना रही हैं. वे सैनिटाइजर बनाने के दौरान इसकी गुणवत्ता और असर का भी ध्यान रख रही हैं. इन महिलाओं ने कई जगहों पर अपने बनाए मास्क जरूरतमंदों को निःशुल्क भी दिए हैं.