स्वालांबन बन रही महिलाएं, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने CM ने लिए कई बड़े फैसले

रायपुर। छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार बनने के बाद से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं। जिसका सीधा फायदा ग्रामीणों के साथ महिलाओं को भी मिल रहा है। नतीजतन छत्तीसगढ़ में महिला सशक्तिकरण लगातार दिखाई दे रही है। इन महिलाओं के द्वारा गोबर से तैयार किए उत्पाद देश-प्रदेश नहीं बल्कि विदेशों में बिक रहे है।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने पर लगी है। उनके विचारों को सामने रखकर गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का नारा दिया गया है। कल तक गोबर सड़कों पर बिखरी हुई नजर आती थी। लेकिन आज छत्तीसगढ़ की सरकार 2 रुपए किलो में गोबर खरीद कर लाखों पशुपालकों को फायदा पहुंचाया हैं। वहीं राज्य की हजारों महिलाएं गोबर से बने दीए, वंदनवार, गणेश मूर्ति, वॉल हैकिंग, शुभ-लाभ और डेकोरेटिव आइटम्स बनाकर महीने में लाखों रुपए कमा रही है। इन महिलाओं ने एक नया प्रयोग भी किया गया है। इन वस्तुओं में मौसमी सब्ज़ियों और फूलों के बीज भी डाले गए हैं। ताकि उपयोग के बाद इनको गमले में डालकर पौधे उगाए जा सकें।

दीपावली के मौके पर इन वस्तुओं के आर्डर भी इन महिलाओं को कुछ ज्यादा मिल रहे हैं। नतीजतन रोजगार प्राप्त करने वाली महिलाओं की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हो रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि छत्तीसगढ़ स्वालांबन की दिशा में आगे बढ़ रहा है। गांधी जी कहते थे कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने से ही देश और जनता मजबूत होगी। सीएम बघेल का कहना है कि हमारी सरकार गोबर खरीदकर कई तरह के फायदे पहुंचा रही है। गोबर से खाद बनाकर जैविक खेती की जाएगी। वहीं स्वसहायता समूह की महिलाएं गोबर से कई आकर्षक वस्तुएं बनाकर बाजार में बेची रही है।

सीएम का कहना है कि इन वस्तुओं के प्रचार-प्रसार और बेहतर दाम के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे का कहना है कि हमारी स्वसहायता समूह की महिलाएं बहुत अच्छा काम कर रही है। बहुत जल्द इन महिलाओं द्वारा तैयार की गई वस्तुएं घर-घर में नजर आएगी। गोबर से बनी वस्तु रोजागार के साथ-साथ इको फ्रेंडली भी है। निश्चित रूप से अगर गोबर संबंधित वस्तुओं को बड़ा बाजार मिले तो वह दिन दूर नहीं जब छत्तसीगढ़ अपनी पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर में बनाएगी। वहीं इन वस्तुओं के ज्यादा बिक्री से महिला संस्थाओं की आय बढ़ेगी।

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