शुरू हुआ पलायन का सिलसिला : न धान की फसल कटी, न मनाया दिवाली तिहार और चल पड़े कमाने-खाने

महासमुंद। छत्तीसगढ़ में अभी बारसात की मौसम ठीक से गया भी नहीं है, धान की फसल अभी खेतों में ही खड़ी है। सामने दीपावली जैसा त्योहार है, लेकिन फिर भी पिछले कुछ दशकों से राज्य को सबसे ज्यादा दंश देने वाले पलायन का सिलसिला शुरू हो गया है। पटेवा पुलिस ने एन एच 53 पर 130 मजदूरों को यूपी ले जा रही एक बस को पकड़ा है। सभी मजदूर पिथौरा, पटेवा, खट्टा, जलकी आदि गांवों के रहने वाले हैं। इन्हें मजदूर दलाल 20 हजार से 1 लाख रुपये तक एडवांस देकर अपने साथ यूपी ले जा रहे थे। बस में सवार मजदूरों ने दलाल का नाम जेके गुप्ता और नन्दू महंती बताया है। इस कार्रवाई के बाद पुलिस ने श्रम विभाग को सूचना दे दी है। पलायन कराकर मजदूरों को ले जा रही बस को जब पुलिस ने रोका तो देखा कि मां-के साथ उनके छोटे-छोटे बच्चे भी थे। इसका मतलब यह हुआ कि बच्चों की पढ़ाई का उन्हें कोई खयाल नहीं है। पलायन रोकने के लिए राज्य सरकारों ने पिछले दो दशकों में कई उपाय किए। लेकिन राज्य से पलायन का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा है। आश्चर्य का विषय ये है कि अब तक धान कटाई, मिसाई और फिर उसे बेचने के बाद ही मजदूरों के पलायन का क्रम शुरू होता था। लेकिन इस बार इतनी जल्दी पलायन वाकई चिंता की बात है। राज्य सरकार और श्रम विभाग को इस ओर अवश्य कोई सीरियस प्रयास करने की जरूररत है

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