कवर्धा कांड : कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर भड़के प्रदेश भाजपाध्यक्ष, कहा- असली आरोपियों को छोड़ रही सरकार

रायपुर। कवर्धा में एक झंडे को लेकर विवाद के बाद हिंसा पर पुलिसिया कार्रवाई पर ऊंगलियां उठ रही हैं। इस पर सियासत भी तेजी से जारी है। हिंसा में नामजद पांच भाजपा नेताओं ने शुक्रवार को सरेंडर किया। पुलिस ने उन्हें जेल भेज दिया। अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय इस कार्रवाई पर कड़ा रुख अपनाया है। साय ने ऐसी कार्रवाई को तानाशाही कहा है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा है कि कवर्धा की सांप्रदायिक हिंसा में प्रदेश सरकार के दबाव में कार्रवाई हुई है। हिंसा के मूल दोषियों को गिरफ्तार करने के बजाय जान-बूझकर भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को जेल में डाला गया है। भाजपा नेताओं के खिलाफ सबूत होने के दुर्भावना पूर्ण दावे किए गए। लेकिन अभी तक एक भी सबूत सार्वजनिक नहीं किया गया। श्री साय ने कहा कि झीरम कांड के सबूत जेब में लिए घूमने की शेखी बघारते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सबूत के दावे करने की लत तो है, पर सबूत पेश करने में वे हमेशा पिछड़ जाते हैं। हालात यह हैं कि मुख्यमंत्री और सरकार के मंत्री खुद पुलिस को बता रहे हैं कि किस व्यक्ति के खिलाफ कब और किस धारा में केस दर्ज करना है। साय ने आरोप लगाया कि पुलिस के पास कानूनी कार्रवाई तक करने की स्वतंत्रता नहीं रह गई है।

सीएम की भाषा धमकी वाली प्रदेश भाजपाध्यक्ष विष्णुदेव साय ने सीएम पर धमकी भरी भाषा के इस्तेमाल का आरोप लगाया। साय ने कहा, आपातकाल वाली मानसिकता से ग्रस्त राजनीतिक धमकियों को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह वही प्रदेश सरकार है जो शिक्षक अभ्यर्थियों के आंदोलन के दौरान प्रदेश के युवाओं को भविष्य चौपट करने की धमकी दिलवा चुकी है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने अघोषित आपातकाल थोप रखा है। हमारे आरोप सच साबित हुए: कांग्रेस उधर भाजपा नेताओं के र्ग्पण को कांग्रेस प्रवक्ता ने अपराध बोध बताया है। संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, भाजपा के प्रदेश मंत्री विजय शर्मा और पांच अन्य लोगों ने साम्प्रदायिक हिंसा के पापबोध से आत्मसमर्पण किया है। शुक्ला ने कहा, कांग्रेस पहले दिन से कह रही है कि कवर्धा में भाजपा ने सुनियोजित तरीके से दंगा भड़काया था। भाजपा के 5 पदाधिकारियों के समर्पण से यह साबित हो गया कि कांग्रेस के आरोप सही थी।

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