पूछताछ के नाम पर रात में महिलाओं को ले जाते हैं थाने: आदिवासी 2 सिपाहियों से परेशान SP को ज्ञापन सौंपा

जांजगीर। छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले में दो सिपाहियों से आदिवासी समुदाय परेशान हो गया है। उनका कहना है कि देवता को शराब चढ़ाते हैं तो दोनों सिपाही कहते हैं कि अवैध शराब बनाते हो। डरा-धमका कर रुपए मांगते हैं। नहीं दो तो जबरदस्ती थाने ले जाते हैं और बंद करने की धमकी देते हैं। कहते हैं कि 6 एकड़ जमीन बेचकर रुपए दिए तब पुलिस बना हूं। अब वसूली कर 12 एकड़ जमीन खरीदूंगा। आदिवासी समुदाय ने शनिवार को इस संबंध में SP से शिकायत की है। गंभीर आरोप लगाते हुए आदिवासियों ने कहा पूछताछ के नाम पर रात में महिलाओं को ले जाते हैं थाने। आरोपी सिपाही महिलाओं को खुद पकड़ते हैं और थाने ले जाने की बात कहकर डराते-धमकाते हैं। जबकि कोई महिला सिपाही भी साथ नहीं होती है।

मामला मुलमुला थाना क्षेत्र का है। SP प्रशांत ठाकुर के कार्यालय में पहुंचे गोंड आदिवासी (सबारिया) समुदाय ने उनको ज्ञापन सौंपा। इसमें कहा गया है कि उनके डेरे में थाने के कॉन्स्टेबल राजेंद्र कुमार राठौर और धर्मेंद्र बंजारे टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहनकर किसी भी समय पहुंच जाते हैं। इसके बाद लोगों को शराब बनाते हो कहकर परेशान करते हैं। आरोप है कि शराब नहीं मिलने के बावजूद दोनों सिपाही पैसों की मांग करते हैं। और कहते हैं कि इन सबसे बचना है तो 40-50 हजार रुपए देने होंगे। मोहल्ले के कई लोगों को झूठे केस में भी फंसा चुके हैं और बार-बार फंसाने की धमकी देते हैं। शिकायतकर्ताओं ने बताया कि वे आदिवासी गोंड़ (सबारिया) जाति के हैं। पूजा-पाठ के दौरान बूढ़ादेव को शराब चढ़ानी पड़ती है। कभी-कभी उत्सव में पीने के लिए एक-दो लीटर बना भी लेते हैं। ऐसे में दोनों आरोपी कॉन्स्टेबल मोहल्ले में आते हैं और लोगों के गिलास सूंघते हैं। हाथ में पकड़े ग्लास में भट्‌टी से बनी महुआ शराब की महक आती है तो उन्हें पकड़ लेते हैं। फिर थाने ले जाने के बहाने मोटी रकम मांगते हैं। एसपी ने कहा जांच के बाद करेंगे कार्रवाही ज्ञापन मे कहा गया है कि सबरिया डेरा वासी दोनों कॉन्स्टेबल के व्यवहार एवं दुष्कृत्य से काफी डरे और परेशान हैं। उन्होंने थाने में भी सिपाहियों की शिकायत की थी, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में वे अब न्याय मांगने SP ऑफिस आए हैं। वहीं SP प्रशांत ठाकुर ने मामले की जांच कराने के बाद दोषियों पर कार्रवाई करने का आश्वासन आदिवासी समुदाय को दिया है।

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