छत्तीसगढ़ की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को आखिरकार अब तक उनका हड़ताल और बर्खास्त अवधि का लंबित मानेदय भुगतान नहीं किया गया। महिला एवं बाल विकास विभाग को बार-बार मिन्नतें करने के बावजूद आंगनवाड़ीकर्मियों को भुगतान नहीं किया गया। हां, निर्वाचन ड्यूटी के निर्देश, वैक्सीनेशन की जानकारी, बिना मोबाइट बांटे एप्प डाउनलोड करने की चेतावनी देने में विभाग की तरफ से कोई कमी नहीं है। पढ़िए पूरी खबर- रायप़ुर। छत्तीसगढ़ की आंगनवाड़ीकर्मियों की नाराजगी सरकारें कब तक दूर कर पाएंगी, कहना मुश्किल है। असल में सरकार और सरकार के नुमाइंदों द्वारा आंगनवाड़ीकर्मियों की मांगों को लेकर जो आश्वासन दिए जाते हैं, वे समय पर पूरे नहीं होते। ऐसा एक बार नहीं, बल्कि बार-बार किया जा रहा है। यही कारण है कि एक बार फिर आंगनवाड़ीकर्मियों में नाराजगी देखी जा रही है।
दरअसल, दशहरा के कुछ दिन पहले एक आंदोलन आंगनवाड़ीकर्मियों ने राजधानी में की थी। उनकी मांगें नियमितीकरण समेत कई बिंदुओं पर थीं, लेकिन संचालनालय से आश्वासन देने आए अधिकारियों ने बाकी मांगों को विचारण योग्य बताते हुए लंबित मानदेय के भुगतान को 10 दिनों के भीतर पूरा कराने का वादा किया था। अधिकारी वादा करके चले गए, लेकिन वादा अब तक पूरा नहीं हुआ। सूत्रों का कहना है कि संचालनालय ने जिलों को भुगतान की राशि भेज दी थी, जिलों से लेट लतीफी है। लेकिन आंगनवाड़ीकर्मियों का कहना है कि कई परियोजनाओं में अभी तक हड़ताल और बर्खास्त अवधि का भुगतान हुआ ही नहीं। छत्तीसगढ़ जुझारू आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका कल्याण संघ की उप प्रांताध्यक्ष भुनेश्वरी तिवारी ने इस संबंध में कहा है कि पूरे प्रदेश के कई जिलों में यह समस्या आज भी है। ऐसे में संचालनालय के सामने आंदोलन करने की रणनीति बनाई जाएगी। मंत्री और अधिकारियों के स्पष्ट निर्देश के बावजूद यदि आंगनवाड़ीकर्मियों के खाते तक भुगतान नहीं पहुंच रहा है, तो फालतू की देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारी या कर्मचारी पर विभाग कार्रवाई क्यों नहीं करता? क्या कार्रवाई करने में सक्षम अधिकारी भी इस लेट-लतीफी में शामिल हैं या ऐसा करने वालों को अप्रत्यक्ष रूप से संरक्षण दे रहे हैं? बहरहाल, इसे लेकर आंगनबाड़ीकर्मी आक्रोशित हैं।