बालोद। जिले के दो गांवों जगन्नाथपुर और देवरी (मोहंदीपाट) में इस साल ऐसी अनूठी दिवाली मना रहे हैं, जिसकी कभी किसी ने कल्पना नहीं की होगी। जी हां, इस साल इन दोनों गांवों के हर घर के आंगन में बेटियों के नाम से पांच-पांच दीये जलाए जा रहे हैं। धरतेरस से शुरू हुआ यह सिलसिला पूरे पांच दिन चलेगा। इसका प्रमुख उद्देश्य लक्ष्मी स्वरुपा बेटियों को बचाने का संदेश देना है। मिट्टी के दीये जलाने के पीछे यह संदेश देना भी है कि लोग अधिक से अधिक इसे खरीदें ताकि करेंकुम्हार परिवारों के जीवन से अंधियारा दूर हो सके। उनकी दिवाली भी जगमगाए। जगन्नाथपुर में यह पहल यादव दंपति ने की है। दीपक यादव ने गांव के सभी घरों में पांच-पांच दीये बांटे हैं।
ये दीये सभी के आंगन में बेटियों के नाम से जलाए जा रहे हैं। इसकी शुरुआत धनतेरस से हुई है। पत्नी माधुरी इससे बहुत उत्साहित हैं। इस दंपति की मासूम बिटिया है, जिसका नाम वैष्णवी है। बेटी होने पर उसकी आरती की थी। बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ थीम को अनुयायी इस दंपति ने बेटी के नामकरण संस्कार का निमंत्रण कार्ड भी बेटी के नाम पर प्रकाशित कराया।
और भी हैं अलख जगाने वाले
पुरूर के कमल देव के बेटा है, बेटी नहीं। बिटिया की चाह में इसके लिए मां लक्ष्मी को मिट्टी के 51 दीये जलाएंगे। उन्होंने कहा कि वे हर ऐसे परिवार को इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं, जिनके घर बेटी नहीं है। उन्होंने स्कूल में बच्चों को मिट्टी का दीया जलाने के लिए प्रेरित किया है।